सार

क्रिकेट की दुनिया में आज भारत सिरमौर है। टी20 और वनडे विश्वकप जीत चुकी टीम इंडिया के कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिनके रिकॉर्ड तोड़ पाना मुश्किल है। टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहली सेंचुरी जड़ने का श्रेय भारतीय खिलाड़ी लाला अमरनाथ को जाता है।

नई दिल्ली. 15 दिसंबर 1933 का दिन था। मुंबइ के प्रसिद्ध जिमखाना क्रिकेट मैदान पर भारत पहली बार अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने जा रहा था। सामने थी मजबूत इंग्लैंड की टीम जिसकी कमान डगलस जार्डिन के हाथ में थी। इंग्लिश टीम के गेंदबाजों ने डॉन ब्रेडमैन जैसे आस्ट्रेलियाई दिग्गज को भी एशेज सीरीज में चौंका दिया था, जब उनके गेंदबाजों ने बॉडी लाइन बाउंसर्स की बौछार कर दी थी। तब भारत के कप्तान महान खिलाड़ी सीके नायडू कर रहे थे। इंग्लैंड ने पहले बैटिंग करते हुए पहली पारी में 438 रन बनाए। जवाब में खेलने उतरी भारतीय टीम मात्र 219 रन ही बना सकी। उस मैच में पहली बार खेलने उतरे पंजाब के खिलाड़ी नानक अमरनाथ भारद्वाज ने 38 रन बनाए, जो उस मैच में किसी भी भारतीय खिलाड़ी द्वारा सर्वश्रेष्ठ रन था।

जब जड़ा तेज शतक
तब भारत पर पारी की हार का खतरा मंडरा रहा था। भारत ने दूसरी पारी शुरू की लेकिन दोनों सलामी बल्लेबाज बहुत जल्दी पवेलियन वापस लौट गए। तब भारत ने सिर्फ 21 रन बनाए थे। वन-डाउन बल्लेबाज फिर से पंजाब के अमरनाथ थे। उसके बाद जिमखाना मैदान ने जो देखा वह अविश्वसनीय था। इस नौजवान ने तूफान खड़ा कर दिया और प्रसिद्ध अंग्रेजी गेंदबाजों को जमकर बाउंड्री के बाहर पहुंचाना शुरू कर दिया। लाला अमरनाथ इस कदर खेल रहे थे जैसे आजकल टी20 का गेम होता है। अमरनाथ हर मिनट में रन बना रहे थे। उन्होंने शुरू के 88 रन मात्र 78 मिनटों में बना डाले। वे इतिहास रचने जा रहे थे और कुछ ही देर बाद वे टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से शतक मारने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। यह कारनामा उन्होंने अपने डेब्यू मैच में किया और 100 रन बनाने में 21 चौके जड़ डाले थे। जब अमरनाथ को समर्थन देने वाले कप्तान नायडू 67 रन पर आउट हुए तो भारत तीन विकेट पर 207 रन बनाकर पारी की हार लगभग टाल चुका था। लेकिन अन्य बल्लेबाज सस्ते में आउट हो गए और भारत कुल मिलाकर केवल 258 रन ही बना सका। हालांकि पारी की हार टल गई। इंग्लैंड ने दूसरी पारी में आसानी से 40 रन बनाकर जीत दर्ज की। लेकिन इस हार में भी अमरनाथ सुपरस्टार बनकर उभरे। ब्रिटिश शासन से लड़ने वाले राष्ट्र के लिए भी यह बहुत गर्व का क्षण था। भारत के राजनीतिक आकाओं और खेल प्रेमियोंन ने अमरनाथ के शतक को सेलीब्रेट किया। 

कौन थे लाला अमरनाथ
कपूरथला के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए अमरनाथ को एक अमीर मुस्लिम परिवार ने गोद लिया था। वह स्वतंत्र भारत के पहले कप्तान भी बने। लाला अमरनाथ मध्यम गति की गेंदबाजी करते थे। 1952 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की पहली सीरीज जीत भी अमरनाथ के नेतृत्व में हुई। लाला अमरनाथ ने भारत के क्रिकेट प्रतिष्ठान पर राजकुमारों के आधिपत्य पर भी सवाल उठाया था। उन्होंने कुल 24 टेस्ट खेले और आजादी के बाद भारत की चयन समिति के अध्यक्ष भी बने। अमरनाथ के बेटे मोहिंदर और सुरिंदर भी भारत के लिए खेले। 1991 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। लाला अमरनाथ का 2000 में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया।

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