सार
यह हैं झारखंड की पहचान नेशनल तीरंदाज सोनी खातून। इनके घर में कई पदक रखे हुए हैं, लेकिन अब ये सड़क पर सब्जी की दुकान चलाते देखी जा सकती हैं। लॉकडाउन में पिता का कामकाज ठप होने से इन्हें दुकान पर बैठना पड़ रहा है। 23 साल की सोनी झारिया ब्लॉक के जियलगोरा गांव में रहती हैं। इनके पिता घरों में रंगाई-पुताई का काम करते हैं। लेकिन इन दिनों काम बंद है। लिहाजा, बेटी को रोजी-रोटी की जुगाड़ करने दुकान चलानी पड़ रही है। बता दें कि सोनी ने 2011 में पुणे में आयोजित 56वीं राष्ट्रीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था।
धनबाद, झारखंड. लॉकडाउन का असर अमीर-गरीब हर वर्ग पर पड़ा है। लेकिन गरीबों के सपने जैसे टूट-से गए हैं। यह कहानी भी ऐसे ही सपने लेकर जिंदगी में कुछ बेहतर करने की सोच रखने वाली झारखंड की पहचान नेशनल तीरंदाज सोनी खातून की है। इनके घर में कई पदक रखे हुए हैं, लेकिन अब ये सड़क पर सब्जी की दुकान चलाते देखी जा सकती हैं। लॉकडाउन में पिता का कामकाज ठप होने से इन्हें दुकान पर बैठना पड़ रहा है। 23 साल की सोनी झारिया ब्लॉक के जियलगोरा गांव में रहती हैं। इनके पिता घरों में रंगाई-पुताई का काम करते हैं। लेकिन इन दिनों काम बंद है। लिहाजा, बेटी को रोजी-रोटी की जुगाड़ करने दुकान चलानी पड़ रही है। बता दें कि सोनी ने 2011 में पुणे में आयोजित 56वीं राष्ट्रीय विद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था।
घर में खाने के पड़ गए थे लाले..
सोनी की प्रतिभा को देखकर उन्हें टाटा आर्चरी एकेडमी के फीडर सेंटर में अपना हुनर निखारने का मौका मिला था। लेकिन एक दिन उनका धनुष टूट गया। अभी उसका ही इंतजाम नहीं कर पाई थीं कि लॉकडाउन आ गया। सोनी ने खेलमंत्री से लेकर कई अफसरों से मदद मांगी। लेकिन जब कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखी, तो खेल को किनारे रख..सड़क किनारे सब्जी की दुकान लगा ली।
अगर काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या?
23 साल की सोनी बताती हैं कि अगर वे दुकान नहीं चलाएं, तो घर में चूल्हा नहीं जले। परिवार में माता-पिता और दो बहनें हैं। पिता इरदीश मियां घरों में रंगाई-पुताई का काम करते हैं। लेकिन लॉकडाउन में कामकाज बंद है। मां शकीला गृहिणी हैं। सोनी की बड़ी बहन पीजी की पढ़ाई कर रही है। छोटी बहन इंटर में है। सोनी कहती हैं कि अगर वो दुकान नहीं चलाएं, तो बहनों की पढ़ाई भी रुक जाएगी। सोनी का परिवार कच्चे घर में किराये से रहता है। सोनी अपने घर से रोज एक किमी दूर जाकर सब्जी की दुकान लगाती हैं।
डीसी आए मदद को आगे..
इस बीच डीसी अमित कुमार इस तीरंदाज की मदद को आगे आए हैं। उन्होंने सोनी को बुलाकर उसे 20 हजार रुपए का चेक सौंपा। आगे भी मदद का भरोसा दिलाया। सोनी ने बताया कि यह चेक उन्हें धनुष खरीदने के लिए दिया गया है। सोनी कहती हैं कि दुकान चलाना उनकी मजबूरी है। फिर भी वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदेश का नाम रोशन करना चाहेंगी।
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