सार
झारखंड के बाबाधाम ज्योर्तिलिंग में विश्व प्रसिद्ध पेड़े का होता है करोड़ों का कारोबार। इसके जीआई टैगिंग की मांग चल रही है। 12 जुलाई को देवघर आ रहे देश के प्रधानमंत्री बाबा बैजनाथ को इसी पेड़े का 51 किलों का प्रसाद चढ़ाने वाले है।
देवघर. वैसे तो तमाम धार्मिक स्थलों का जायका विशेष होता है, लेकिन बाबाधाम में प्रसाद के रूप में मिलने वाले पेड़े की बात ही अलग है। झारखंड का श्रावणी मेला विश्वप्रसिद्ध है। इस दौरान देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में बाबा को अभिषेक के बाद मिलने वाला प्रसाद रूपी पेड़ा भारत ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। स्वाद की बात की जाए तो देश-विदेश में ऐसे पेड़े कहीं नहीं मिलते और जब इसे प्रसाद के रूप में लोग खरीदते हैं तो इसका स्वाद और भी अधिक बढ़ जाता है। बता दें कि दो महीने पहले ही देवघर के पेड़ों को इंटरनेशनल मार्केट में इसे बेचने का लाइसेंस मिल चुका है। अब यहां का मशहूर और स्वादिष्ट पेड़ा बहरीन-कुवैत जैसे खाड़ी देशों के लोगों को भी अपना दीवाना बना रहा है। इसे जीआई (ज्योग्राफिल इंडिकेशन) टैग दिलाने के लिए दावेदारी भी पेश की गयी है और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसकी विशिष्ट पहचान को मान्यता मिल जायेगी।
देवघर का पेड़ा गली है प्रसिद्ध
देवघार बाबा मंदिर के पास एक पेड़ा गली है। जो देशभर में प्रसिद्ध है। यहां आने वाले श्रद्धालु पेड़ा गली में जाकर ही पेड़ा खरीदना पसंद करते हैं। अन्य जगहों की तुलना में पेड़ा गली और बासुकीनाथ के घोरमारा में मिलने वाला पेड़ों का स्वाग अन्य जगहों की तुलना में काफी पसंद किया जाता है।
देश के प्रधानमंत्री भी चढ़ाने वाले है प्रसाद
देवघर के इन प्रसिद्ध पेड़े को ही कल 12 जुलाई को आ रहे देश के प्रधानमंत्री प्रदेश आने वाले है,वो बाबा वैद्यनाथ के दर्शन करने के साथ ही इन्ही पेड़ों का भोग लगाने वाले है। पीएम मोदी 51 किलों पेड़ों का भोग लगाएंगे।
दस हजार टन पेड़ों के कारोबार की संभावना
12 जुलाई को देश के प्रधानमंत्री देवघर आने वाले हैं। इस दौरान वे बाबा को 51 किलो पेड़ा भी चढ़ाएंगे। इसके साथ यहां का पेड़ा ऊंची उड़ान भरकर देश-विदेश में कोने-कोने में पहुंचने लगेगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शंकर के कुल 24 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ का धाम देवघर है। जहां हर साल तकरीबन दो से ढाई करोड़ श्रद्धालु-सैलानी पहुंचते हैं। यहां महीने भर चलनेवाला श्रावणी मेला इस बार आगामी 14 जुलाई को शुरू हो रहा है, जिसमें करीब 80 लाख से एक करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। बाबाधाम पेड़ा ट्रेडर्स एसोसिएशन (बीपीटीए) के एक सदस्य बताते हैं कि श्रावणी मेले के दौरान लगभग दस हजार टन पेड़े का कारोबार होने की संभावना है।
मेले में एक करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद
मेले में 80 लाख से एक करोड़ लोग पहुंचेंगे। यहां से लौटते वक्त प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में कम से कम एक से लेकर पांच किलोग्राम तक पेड़े के पैकेट भी जरूर होगा। प्रति किग्रा 280 से 300 रुपये की दर के पेड़े मौजूद है। महीने भर में 50 से 60 करोड़ रुपए का पेड़ा बिकेगा। श्रावणी मेले के बाद सालों भर देश-विदेश से श्रद्धालुओं और सैलानियों का यहां आगमन होता है और इनकी बदौलत पेड़े का मौजूदा सालाना कारोबार लगभग 120 करोड़ का है।
विदेशियों की जुबां पर भी चढ़ा बाबाधाम के पेड़ों का स्वाद
बाबा को प्रसाद के रूम में चढ़ाया जानेवाला पेड़ा अब विदेशी पर्यटकों के मन को भी भा रहा है। ऐसे में इस पेड़े की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही। बाबाधाम के पेड़ा विदेश में भी अपनी धाक जमा रहा है। अब विदेशी मार्केट में पेड़े की सप्लाई करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल बाबाधाम पेड़ा और अन्य उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में प्रमोट करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। जिसके चलते बीते दिनों झारखंड सरकार के उपक्रम मेघा डेयरी के पेड़ों के सैंपल कई जगह भेजे गए थे। एक कंपनी के माध्यम से बहरीन में भी सैंपल भेजे गए। जहां सैंपल को काफी पंसद किया गया। देवघर डीसी की पहल पर, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और उन कंपनियों को जो पेड़े विदेश में सप्लाई करती है सैंपल भेजे गए थे। जिसके बाद बहरीन से इस पेड़े की काफी डिमांड आई है।
अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पैठ बनाने की तैयारी, कई तरह के होते हैं यहां के पेड़े
विभिन्न स्टेक होल्डरों जैसे डी.आई.सी., ए.पी.ई.डी.ए, एस.पी.सी.सी.आई, मेघा डेयरी, देवघर जिला प्रशासन के सूचना विभाग आदि भी बैठक के माध्यम से पेड़ा के कॉमर्शियल शिपमेंट और सप्लाई के लिए लगातार कार्य योजना बना रहे हैं। साथ ही इसकी क्वालिटी पैरामीटर, पैकेजिंग स्पेसिफिकेशन और लॉजिस्टिक अरेंजमेंट के अलावा हर चीज का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। हर वो कदम उठाए जा रहे हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पेड़े की पहुंच बनाने के लिए जरूरी है। सावन के मेले में पूरा देवघर और बासुकीनाथ पेड़ों की दुकानों से पटा होता है। वैसे यहां सालों भर पेड़ा मिलता है लेेकिन सावन में इसकी डिमांड बढ़ जाती है। इससे यहां लाखों लोगों को रोजगार तो मिलते ही है साथ ही यह देवघर की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां पर केसरिया पेड़ा, मालई वाला पेड़ा और कड़े पाग वाला सहित विभिन्न प्रकार के पेड़ों के प्रकार मिल जाएंगे। इनकी कीमत 350 से 600 रुपए तक होती है।
देवघर के पेड़ों की कीमत
पेड़ा : 800 ग्राम खोवा एवं 200 ग्राम चीनी - 650 रुपये प्रति किलोग्राम.
पेड़ा : 700 ग्राम खोवा एवं 300 ग्राम चीनी - 350 रुपये प्रति किलोग्राम
शुद्ध खोए और गुड़ से बनता है यह पेड़ा
देवघर-बासुकीनाथ मुख्य मार्ग पर स्थित घोरमारा अपने विशेष पेड़े के लिए देश-विदेश में विख्यात है। इस पेड़े की खासियत है कि कम से कम 20 दिनों तक बगैर रेफ्रिजरेशन के भी रखा जा सकता है। शुद्ध खोए से निर्मित इस प्रसाद को गुड़ के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए कारीगर को भट्ठी की गर्म ताप के सामने खड़े रहकर घंटो की मेहनत करनी पड़ती है। इसकी खुशबू बाबाधाम आने वाले तमाम कांवरियो को अपनी ओर खींच लेता है।
करोड़ों का होता है व्यवसाय
बाबा भोले की नगरी का पेड़ा भगवान शिव को बतौर प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है। यहां आने वाले श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर पेड़ा जरूर खरीदते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार उसे घर ले जाते हैं। पूरे साल भर में यहां पेड़े का करोड़ों का कारोबार होता है। सावन के महीने में पेड़े की अप्रत्याशित बिक्री होती है। यहां के पेड़े में शुद्धता तथा उच्च गुणवत्ता बरकरार रहती है। पेड़ा खाने में काफी स्वादिष्ट रहता है।
कोरोना काल में घरों तक पहुंचाया गया बाबाधाम का पेड़ा
कोरोना काल में श्रावणी मेले की रोक रही। वैसे समय में भी यहां के पेड़ों की डिमांड कम नहीं हुई। इसकी डिमांड को देखते हुए प्रशासन ने ऑनलाइन भक्तों तक बाबा के प्रसाद (बाबा धाम के पेड़ों) को उनके घरों तक पहुंचाया। प्रशासन ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कर लोगों तक प्रसाद पहुंचाने की व्यवस्था की।