सार
झारखंड में एक साल पहले 28 जुलाई 2021 के दिन सुबह घूमने निकले जज को ऑटो से टक्कर मारकर उनकी हत्या करने व लूटपाट करने के मामलें में पकड़े गए आरोपियों को पहली बार पांच पहीने में सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला। पहली बरसी में आरोपियों को मिली सजा।
धनबाद. झारखंड के धनबाद सिविल कोर्ट के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अष्टम उत्तम आनंद की आज पहली बरसी है। पहली पुण्यतिथि पर ही उनकी हत्या मामले में धनबाद सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। हत्याकांड से जुडे दोनों आरोपियों को न्यायधीश रजनीकांत पाठक की कोर्ट ने आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत दोषी करार दिया है। दोनों आरोपियों का नाम राहुल और लखन है। 6 अगस्त को कोर्ट उन्हें सजा देगी। जानकारी के मुताबिक, झारखंड में पहली बार सीबीआई कोर्ट ने स्पीडी ट्रायल चलाकर महज 5 माह में ही सुनवाई पूरी कर ली है। मंगलवार को अदालत ने इस मामले पर अंतिम सुनवाई की थी। बचाव पक्ष की ओर से अन्य अदालतों के निर्णय की प्रति अदालत में दाखिल की गई। दोनों पक्षों की ओर से बहस पहले ही पूरी कर ली गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने फैसले के लिए गुरुवार (28 जुलाई) की तिथि निर्धारित की थी।
दोनों आरोपी जेल में है बंद
इस मामले के दोनों आरोपी लखन वर्मा और राहुल वर्मा घटना के बाद से ही न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। ये दोनों आरोपी ट्रायल फेस कर रहे हैं। आरोपियों के खिलाफ 2 फरवरी 2022 को अदालत में आरोप का गठन किया गया था और 7 मार्च 2022 को इस मामले में पहले गवाह की गवाही हुई थी। 3 माह के अंदर ही अदालत ने कुल 58 गवाहों का बयान पूरा कर लिया. सीबीआई की ओर से क्राइम ब्रांच के विशेष अभियोजक अमित जिंदल और बचाव पक्ष की ओर से डालसा के अधिवक्ता कुमार विमलेंदु ने अदालत में मुकदमे की पैरवी की। इससे पहले 26 जुलाई को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी करने के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश रजनीकांत पाठक की अदालत ने इस मुकदमे में फैसले के लिए न्यायाधीश की पुण्यतिथि का ही दिन चुना था।
यह था मामला
जज उत्तम आनंद की मौत 28 जुलाई 2021 की सुबह हुई थी। वह घर से सुबह की सैर पर निकले थे। धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर सुबह 5:08 मिनट पर एक ऑटो ने धक्का मार दिया था। अस्पताल ले जाने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। घटना का सीसीटीवी फुटेज देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि यह हादसा नहीं है, बल्कि जज को जानबूझकर धक्का मारा गया। मामले में सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। पहले झारखंड सरकार द्वारा गठित एसआइटी ने मामले की जांच शुरू की थी, लेकिन 4 अगस्त 2021 को इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था। बीते साल 20 अक्टूबर को सीबीआइ ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध हत्या का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दायर कर दी थी। वहीं सीबीआइ ने हत्या के अलावा ऑटो चोरी एवं मोबाइल चोरी की दो अलग एफआइआर भी दर्ज की थी।
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