सार

कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी पर गहरा असर डाला है। इस बीमारी के कारण लोग अपनों को गले तक नहीं लगा पा रहे। फील्ड में ड्यूटी करने वाली मां अपने बच्चों को लाड़-दुलार नहीं कर पा रहीं। कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने ड्यूटी करने वाले ऐसे लोगों को अपनी दिनचर्या बदलनी पड़ी है। पढ़िए एक ऐसी ही लेडी ASI की कहानी, जिसके कांधे पर दो बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी है, लेकिन वो अपनी ड्यूटी भी जी-जान से कर रही है।


जमशेदपुर, झारखंड. जिंदगी की असली परीक्षा हमेशा कठिन समय में होती है। इस समय कोरोना संक्रमण के चलते सभी को अपनी-अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभानी पड़ रही है। खासकर हेल्थ-सफाई और पुलिस विभाग से जुड़े लोगों को अधिक कड़ाई से अपनी ड्यूटी का पालन करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण ने लोगों की जिंदगी पर गहरा असर डाला है। इस बीमारी के कारण लोग अपनों को गले तक नहीं लगा पा रहे। फील्ड में ड्यूटी करने वाली मां अपने बच्चों को लाड़-दुलार नहीं कर पा रहीं। कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने ड्यूटी करने वाले ऐसे लोगों को अपनी दिनचर्या बदलनी पड़ी है। पढ़िए एक ऐसी ही लेडी ASI की कहानी, जिसके कांधे पर दो बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी है, लेकिन वो अपनी ड्यूटी भी जी-जान से कर रही है।


बेटियां और मां दोनों एक-दूसरे का रखते हैं ख्याल
यह हैं ASI मुन्नी देवी। ये कदमा थाने में पदस्थ हैं। वे कहती हैं कि पुलिस की ड्यूटी हमेशा सख्त रहती है, लेकिन इस समय इसमें दोहरी जिम्मेदारी है। उन्हें अपने अलावा अपने परिवार का भी ध्यान रखना पड़ रहा है। उनके कारण कहीं परिवारवालों को संक्रमण न हो जाए, इसे लेकर कड़ी सतर्कता बरतनी पड़ रही है। मुन्नी देवी बताती हैं कि ड्यूटी के दौरान मास्क और ग्लब्स पहनना तो जरूरी होता ही है, बार-बार हाथ धोना या सैनिटाइज करना भी आवश्यक होता है। ड्यूटी के बाद जब वे घर पहुंचती हैं, तो वर्दी उताकर अलग रखती हैं। फिर बिना किसी परिवार के सदस्य से मिले, नहाने चली जाती हैं। नहा-धोकर ही वे बच्चों के बीच आती हैं। अब उनकी यह दिनचर्या बन गई है।


पति के निधन के बाद मिली थी अनुकंपा नियुक्ति
मुन्नी देवी बताती हैं कि वे स्कूटी से जब घर पहुंचती हैं, तो बेटी को आवाज लगाती हैं। उनकी दो बेटियां हैं। इनमें से कोई बेटी आकर उनके अच्छे से हाथ धुलवाती है। इसके बाद ही वे अंदर घुसती हैं। मुन्नी देवी के पति लक्ष्मीनाथ भगत पुलिस में थे। 1999 में उनके निधन के बाद मुन्नी देवी को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। वे कहती हैं कि वे पति की जिम्मेदारी निभा रही हैं। उनका फर्ज है कि ऐसे समय में अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों का बचाना।