सार

यह तस्वीर एक ऐसे परिवार की है, जिसे अपने घर के एक सदस्य की जिंदगी बचाने अपना सबकुछ बेच देना पड़ा। इसके बाद भी उसकी जान नहीं बची। फिर हॉस्पिटल से लाश घर तक लाने में भी अपनी प्यारी बकरी को बेचना पड़ गया।
 

लातेहार, झारखंड. यह तस्वीर एक ऐसे परिवार की है, जिसे अपने घर के एक सदस्य की जिंदगी बचाने अपना सबकुछ बेच देना पड़ा। इसके बाद भी उसकी जान नहीं बची। फिर हॉस्पिटल से लाश घर तक लाने में भी अपनी प्यारी बकरी को बेचना पड़ गया। दरअसल, पिछले दिनों देवीचरण सिंह नामक शख्स पर जंगल में लकड़बग्घे ने हमला कर दिया था। देवी ने पूरी ताकत से लकड़बग्घे का मुकाबला किया। इसके बाद लगड़बग्घा भाग गया, लेकिन देवी बुरी तरह घायल हो गया। उसके परिजन इलाज के लिए रांची के रिम्स लेकर आए। वहां करीब दो हफ्ते तक उसका इलाज चला, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।


लाश ले जाने बेचना पड़ी बकरी...
मृतक की पत्नी चरकी देवी ने रोते हुए बताया कि अगर वन विभाग मदद कर देता और हॉस्पिटल में सही इलाज मिल जाता, तो उसके पति को बचाया जा सकता था। वे गरीब हैं, इसलिए इतना पैसा भीं नहीं था कि किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करा सकते। पैसों के अभाव में दवाएं नहीं खरीद पा रहा था यह परिवार। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर भी ठीक से बर्ताव नहीं करते थे। चरकी देवी ने बताया कि उसने अपने पति के इलाज के लिए बैल-बकरी...जो था, सब बेच दिया। इसके बाद भी पति को नहीं बचा सकी। इसके बाद जब पति की लाश घर तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस मांगी, तो हॉस्पिटल ने अनाकानी कर दी। विवश होकर उन्हें अपनी आखिरी बकरी भी बेचकर पैसों का इंतजाम करना पड़ा। यह परिवार तरवाडीह पंचायत में रहता था। 

उधर, अस्थि रोग विभाग, रिम्स के अध्यक्ष डॉ. एलबी माझी ने बताया कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। परिजन चाहते थे कि एक नर्स सिर्फ उसके मरीज को देखे, यह संभव नहीं है। रिम्स में नर्सों की कमी है।