सार

बता दें कि झारखंड की सियासत में हेमंत सोरेन की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है। कुछ ही सालों के अंदर हेमंत सोरेन ने सियासत की बुलंदियों को छूने में कामयाबी हासिल की।

नई दिल्ली. झारखंड की सियासी जंग में विपक्ष का चेहरा माने जाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अग्निपरीक्षा पांचवे यानी अंतिम चरण में होनी है। हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जहां 20 दिसंबर को वोटिंग होंगी। हेमंत सोरेन को सियासत विरासत में पिता शिबू सोरने से मिली है, जिनकी उंगली पकड़कर उन्होंने राजनीति की एबीसीडी सीखी है। ऐसे में अब देखना है कि वो इस बार किंग बनते हैं या फिर किंगमेकर?

बता दें कि झारखंड की सियासत में हेमंत सोरेन की गिनती कद्दावर नेताओं में होती है। कुछ ही सालों के अंदर हेमंत सोरेन ने सियासत की बुलंदियों को छूने में कामयाबी हासिल की। झारखंड के वजूद में आने के तीन साल बाद जूनियर सोरेन ने सियासत में कदम रखा और फिर पलटकर नहीं देखा। महज सात साल के सियासी सफर में डिप्टीसीएम बने और 10 साल के राजनीतिक करियर व 28 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे। हालांकि महज एक साल ही वो सीएम पद रहे हैं। अब एक बार चुनावी मैदान में उतरे है और बीजेपी के खिलाफ अकेले मोर्चा खोल रखे हैं।

विरासत में मिली राजनीति

हेमंत सोरेन झारखंड के गुरु जी के नाम से शिबू सोरेन के बेटे हैं। हेमंत का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था। उनके दो बेटे निखिल और अंश हैं। जबकि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल की संचालक हैं। उनकी मां रूपी सोरेन उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं लेकिन हेमंत ने 12वीं तक ही पढ़ाई की। उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिलातो लिया मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। यहीं से उन्होंने अपने जीवन को राजनीति की तरफ मोड़ लिया। उन्होंने 2003 में छात्र मोर्चा की राजनीति शुरू की और फिर आगे ही बढ़ते चले गए।

2010 में बने झारखंड के सीएम

हेमंत सोरेन 2009 में राज्यसभा के सदस्य चुने गए। बाद में उन्होंने दिसंबर 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में संथाल परगना के दुमका सीट से जीत हासिल की और राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। 2010 में अर्जुन मुंडा की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार बनी, तो समर्थन के बदले हेमंत सोरेने को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि जनवरी 2013 को जेएमएम की समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के सरकार गिर गई थी।

28 साल की उम्र में बने सीएम

इसी बीच लोकसभा चुनाव की भी गूंज सुनने लगी तो झारखंड में अपना फायदा देखते हुए कांग्रेस जेएमएम के साथ चली गई। यह गठबंधन एक समझौते के तहत बना, जो 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए था। शर्त थी कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 10 और जेएमएम 4 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसी समझौते के तहत हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद मिला। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 28 साल की उम्र में हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने।

इस बार बनेंगे किंग या किंगमेकर 

इसके बाद  2014 के विधानसभा चुनाव में बरहैट सीट पर हेमंत सोरेन ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू के हाथों हार गए। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस और जेएमएम अलग-अलग चुनाव लड़ी थी। राज्य में जेएमएम ने 19 सीटों जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी और सदन में हेमंत सोरेन नेता प्रतिपक्ष बने। हालांकि इस बार सीएम पद का चेहरा बनकर चुनावी मैदान में उतरे हैं, देखना है कि हेमंत सोरेन का ख्वाब पूरा होता है या नहीं।