सार

 गाजियाबाद में रहने वाले राजन नाम का युवक कोरोना से संक्रमित हो गया था। उसकी तबीयत बिगड़ चुकी थी और वह वेंटिलेटर पर था। उसके पास सिर्फ एक दिन की ऑक्सीजन बची थी। कल क्या होगा यह सोचकर वह और उसके परिवार वाले परेशान थे। काफी कोशिश करने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी।

रांची (झारखंड). भारत में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप चरम पर है। महामारी ने क्या अपने क्या पराए सबको अलग-थलग करके रख दिया है। इस मुश्किल घड़ी में अपने भी मुंह मुड़ ले रहे हैं। लेकिन दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हर संकट में काम आता है। ऐसी ही एक दिलखुश कर देने वाली कहानी झारखंड की राजधानी रांची से सामने आई है। जहां एक दोस्त अपने कोरोना संक्रमित दोस्त की जान बचाने के लिए 24 घंटे में 1300 किलोमटर कार चलाकर उसे ऑक्सीजन देने पहुंचा। आइए जानते हैं दोस्ती यह अनोखी कहानी....

'पता नहीं कल क्या होगा..कहते ही रोने लगा दोस्त'
दरअसल, गाजियाबाद में रहने वाले राजन नाम का युवक कोरोना से संक्रमित हो गया था। उसकी तबीयत बिगड़ चुकी थी और वह वेंटिलेटर पर था। उसके पास सिर्फ एक दिन की ऑक्सीजन बची थी। कल क्या होगा यह सोचकर वह और उसके परिवार वाले परेशान थे। काफी कोशिश करने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी। फिर राजन के एक दोस्त संजय सक्सेना ने रांची के रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा को पूरी कहानी बताई। कहा कि हम दोनों का दोस्त राजन इस वक्त बुरी हालत में है। उसकी ऑक्सीजन खत्म हो चुकी है, पता नहीं कल क्या होगा। काफी कोशिश करने के बाद कोई इतंजाम नहीं हो पा रहा है। इतना सुनते ही देवेंद्र ने कहा कि तुम चिंता नहीं करो कल सुबह सब ठीक होगा।

रात को बाइक 150 किलोमीटर दूर सिलेंडर लेने पहुंचा दोस्त
देवेंद्र रात को ही अपनी बाइक से रांची से 150 किलोमीटर दूर बोकारो के लिए ऑक्सीजन का सिलेंडर का इंतजाम करने के लिए निकल पड़े। बता दें कि देवेंद्र और राजन दोनों के परिवार मूल रूप से बोकारो के ही रहने वाले हैं। काफी मशक्कत के बाद  झारखंड गैस प्लांट के मालिक राकेश कुमार गुप्ता की मदद से देवेंद्र को एक सिलेंडर मिल गया। कंपनी के मालिक ने इसके पैसे भी नहीं लिए, कहा कि पहले अपने दोस्ती की जान बचाओ फिर आकर मिलते हैं।

दोस्त ने टॉनिक का किया काम
ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने के बाद देवेंद्र रात को ही 1300 किलोमीटर दूर गाजियाबाद के लिए कार से निकल पड़ा। उसके पास कोई कार नहीं थी, उसने किसी परिचित से मदद मांगकर कार का इंतजाम किया था। हालांकि रास्ते में कई पुलिसवालों ने उनको रोका भी, लेकिन वह यह कहता कि सर जाने तो मेरे दोस्त की जिंदगी का सवाल है, अगर देर हुई तो वह मर जाएगा। जैसे-तैसे देवेंद्र सोमवार दोपहर  वैशाली गाजियाबाद पहुंच गया। जिसके बाद राजन को ऑक्सीजन लगाई गई। अब राजन से पहले अच्छी हालत में है। अगर देवेंद्र दोस्त के लिए इतनी भाग दौड़ नहीं करता तो पता नहीं क्या होता। 

 

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