सार

2010 में मेरा घर मेरा अधिकार के स्लोगन के साथ अपने बिजनेस की शुरूआत करने वाली कंपनी पर इंडियन क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी  ने ब्रांड एंडोर्समेंट की फीस ने देने का आऱोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने धोनी की मध्यस्थता वाली अर्जी के कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। साथ ही इसी मामलें में धोनी को नोटिस जारी किया गया है।

रांची (झारखंड). झारखंड की राजधानी रांची के राजकुमार और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस मिला है। ये नोटिस आम्रपाली मामले में दिया गया है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह मामले में शुरू की गई मध्यस्थता की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। मध्यस्थता का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने धोनी की अर्जी पर ही दिया था। बता दें धोनी कभी आम्रपाली ग्रुप के ब्रांड एंबेसडर थे। हालांकि साल 2016 में उन्होंने खुद को आम्रपाली ग्रुप से अलग कर लिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अपनी 40 करोड़ रुपये की फीस दिलाने की मांग भी की थी। 

धोनी ने इसलिए ली थी कोर्ट की शरण
इससे पहले महेन्द्र सिंह धोनी ने रियल इस्टेट कंपनी आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। धोनी आम्रपाली ग्रुप द्वारा उन्हें पेंटहाउस न दिए जाने और कंपनी द्वारा उनका नाम देनदारों की सूची में शामिल करने को लेकर कोर्ट पहुंचे थे। धोनी ने अपनी याचिका में लिखा था कि उन्होंने रांची में आम्रपाली सफारी में एक पेंटहाउस बुक किया था। साथ ही उन्होंने कहा है कि समूह के प्रबंधन ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया था, लेकिन कंपनी ने उन्हें धोखा दिया। ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर जो बकाया राशि थी, उसका भी भुगतान नहीं किया है। 

क्या है आम्रपाली के शिखर से पतन तक पहुंचने की कहानी
आम्रपाली और अन्य बिल्डरों की लापरवाही से जिस तरह से खरीदार सालों बाद भी अपने फ्लैट्स नहीं पा सके हैं और अपने पैसे डूबते देख रहे हैं वह किसी भयावह सपने से कम नहीं है। मेरा घर, मेरा अधिकार इस स्लोगन के साथ 2010 में आम्रपाली ग्रुप सामने आया था। निवेशक सालों से अपने फ्लैट्स का इंतजार ही कर रहे हैं। इनकी संख्या अब 42,000 हो चुकी है। आईआईटी से पढ़ाई कर चुके अनिल शर्मा ने 2003 में नोएडा में एक प्रोजेक्ट से आम्रपाली की शुरुआत की थी। उस प्रोजेक्ट में कुल 107 फ्लैट थे। 2009-10 में आम्रपाली का पहला सस्ता हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया। आम्रपाली ने नोएडा, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में अपनी धाक जमा ली। 2013 में आम्रपाली ने एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी और मनोरंजन के क्षेत्र में कदम रखा। इसने उत्तर प्रदेश के बरेली और झारखंड के देवघर में तीन सितारा होटलों की शुरुआत की। 2017 में पहली बार आम्रपाली की मुश्किलें सामने आनी शुरू हुई। जब देरी के चलते आम्रपाली अपने खरीदारों के ब्याज का भुगतान कर रहा था और वो सभी चेक बाउंस होने लगे तो अनिल शर्मा के खिलाफ शिकायतों का तांता लग गया। उसी साल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास बैंक ऑफ बड़ौदा ने आम्रपाली सिलिकॉन सिटी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही करने की याचिका डाली। एक बार जब कंपनी के खिलाफ दिवालिया की प्रक्रिया की शुरुआत की बात होने लगी तो बायरों में खौफ बैठ गया और फिर वो अपने हक के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए।

 इस लिए आया नोटिस 
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त रिसीवर ने धोनी समेत उन 1800 लोगों को नोटिस भेजा था जिन्होंने आम्रपाली ग्रुप की अलग-अलग परियोजनाओं में घर खरीदे हुए हैं। इन सभी को 15 दिन के अंदर पैसा जमाने का निर्देश मिला था। धोनी कभी आम्रपाली ग्रुप के ब्रांड एंबेसडर थे। साल 2016 में उन्होंने खुद को आम्रपाली ग्रुप से अलग कर लिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर अपनी 40 करोड़ रुपये की फीस दिलाने की मांग भी की थी।

यह भी पढ़े- CISCE में किसी को 100 में से 100 नंबर मिले तो कोई 4 घंटे करता था पढ़ाई, टॉपर ने बताई कैसे की एग्जाम की तैयारी