सार

झारखंड राज्य में प्रमोशन पर रोक साल 2020 में लगाई गई, जिसे जिसे कोर्ट में जनवरी 2022 में सुनवाई के बाद हटा दिया गया। लेकिन DGP के द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के कैडर को सामान्य कैटेगरी में प्रमोशन देने के कारण कोर्ट में रिट लगाई गई है ....

रांची (झारखंड). झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की बेंच ने सुनवाई करते हुए गुरुवार को राज्य में फ़िलहाल सभी विभागों के अधिकारियों को दिये जाने वाले किसी भी तरह के प्रमोशन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। अब इस मामले में अदालत 18 अगस्त को सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डॉ एसएन पाठक की बेंच में याचिका की सुनवाई हुई। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने कोर्ट में बहस की।

दो वर्ष से नहीं हुआ है प्रमोशन

वर्ष 2020 में सरकार ने प्रमोशन पर रोक का आदेश जारी किया था। जनवरी 2022 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि प्रमोशन पर लगी रोक हटाई जाये। हाईकोर्ट ने यह आदेश रिट याचिका 1390/2021 मामले में दिया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि सभी विभागों में सक्षम अधिकारियों को प्रोन्नति दी जाये। इसी क्रम में 23 जून  2022 को डीजीपी ने आदेश जारी किया कि एएसआई को एसआई में प्रमोट किया जाएगा। इसमें यह प्रावधान किया गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाती कैडर, जेनरल क़ेटेगरी में भी प्रमोशन का लाभ ले सकते हैं। जिसके बाद याचिका कर्ता श्रीकांत दुबे एवं अन्य ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कार्मिक विभाग के सचिव और के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने डीजीपी से जवाब मांगा है। 

पिछले महीने झारखंड सरकार ने पदोन्नती पर लगी रोक हटाई थी
बता दें कि पिछले महीने झारखंड सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की प्रोन्नति पर लगी रोक हटा दी थी। सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए संबंधित आदेश को वापस ले लिया था। इसके लिए सरकार ने आरके सबरवाल व अन्य बनाम पंजाब सरकार के मामले में संविधान पीठ द्वारा पारित आदेश के आधार पर प्रोन्नित देने की व्यवस्था लागू की थी। राज्य सरकार ने 24 दिसंबर 2020 से लगी सरकारी कर्मियों के प्रमोशन पर रोक को हटा दी थी। राज्य कर्मियों के प्रमोशन को लेकर झारखंड विधानसभा में प्रश्न उठा था। तब विधानसभा की ओर से एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इस कमिटी ने प्रमोशन से संबंधित मामले की जांच की थी।

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