सार

झारखंड के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान मार्च 2005 में उन्होंने सरकार में एनडीए के सदस्यों की संख्या की अनदेखी की झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दिया। सैयद सिब्ते रजी तीन बार राज्यसभा सांसद रहे। 

रांची. झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी का शनिवार को लखनऊ में निधन हो गया। वे किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में हृदय रोग का इलाज करा रहे थे। उन्होंने ट्रामा सेंटर में अंतिम सांस ली। झारखंड के अलावा वे असम के भी राज्यपाल रहे। सैयब सिब्ते रजी कांग्रेस के नेता थे और उन्हें गांधी परिवार का करीबी कहा जाता था। 

राष्ट्रपति के हस्तक्षेप के बाद बदलना पड़ा था निर्णय
झारखंड के राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान मार्च 2005 में उन्होंने सरकार में एनडीए के सदस्यों की संख्या की अनदेखी की झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को सरकार बनाने का न्योता दिया। इसकी शिकायत मिलते ही तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने हस्तक्षेप किया और राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के निर्णय को बदला गया। इसके बाद राज्यपाल सैयद सिब्जे रजी ने एनडीए के अर्जुन मुंडा को 13 मार्च 2005 को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। 

यूपी में हुआ था जन्म
उनका जन्म उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में हुआ था। सात मार्च 1939 को जन्म लेने वाले रजी ने 20 अगस्त 2022 को अंतिम सांस ली। उन्होंने रायबरेली के हुसेनाबाद हायर सेकेण्डरी स्कूल से दसवीं करने के बाद शिया कालेज में प्रवेश लिया। वह छात्र राजनीति में उतरे और पढाई के साथ जेब खर्च निकालने के कई होटल में अकाउंट का काम भी देखते थे। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीकाम किया था।

1969 में यूपी के युवा कांग्रेस में हुए थे शामिल
सैयद सिब्ते रजी 1969 में उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। 1971 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने। दो वर्ष बाद 1980 से 1985 में पहली बार राज्य सभा सांसद बने। वह 1980 से 1984 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव भी रहे। उनको कांग्रेस ने दूसरी बार 1988 से 1992 तक तथा तीसरी बार 1992 से 1998 तक राज्य सभा का सदस्य बनाया। उनके राजनीतिक अनुभव को देखते हुए राज्यपाल भी बनाया गया।

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