सार
महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल (एमजीएम) हॉस्पिटल में काम करने वाले जूनियर डॉक्टरों को अभी त सैलरी नहीं मिली है। जिस कारण से उनके लिए घर चलाना मुश्किल है। डॉक्टरों का कहना है कि अब हम काम पर वेतन मिलने के बाद आएंगे।
जमशेदपुर. जमशेदपुर में स्थित कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल (एमजीएम) में 11 जुलाई की सुबह से इलाज ठप है। वेतन नहीं मिलने के कारण अस्पताल के सभी डॉक्टर 11 जुलाई से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं। जिसको लेकर अस्पताल में इलाज करने आए मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ओपीडी के अलावा अन्य विभाग के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर हैं। ओपीडी की सेवाएं बाधित हो गई। सुबह से ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगी है। दूर-दूर से मरीज यहां इलाज कराने आए हैं, जिन्हें निराशा झेलनी पड़ रही है। मालूम हो कि रविवार को ओपीडी बंद रहता है। सोमवार को काफी संख्या में मरीज यहां इलाज कराने आए हैं। अन्य विभागों में भी इलाज नहीं हो पा रहा है।
पांच माह से नहीं मिला है जूनियर डॉक्टरों को वेतन
अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों को पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिला है। जिससे डॉक्टरों में रोष है। हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उन्हें वेतन नहीं मिलता तब तक हड़ताल जारी रहेगा। कुछ दिन पूर्व ही डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने को घोषणा कर दी थी।
हेल्थ मिनिस्टर ने दिया था आश्वसन
पिछले 17 जून को अस्पताल के सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। अधीक्षक कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था। तब हेल्थ मिनिस्टर बन्ना गुप्ता ने अस्पताल पहुंच 10 दिनों के भीतर वेतन देने का आश्वासन जूनियर डॉक्टरों को दिया था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद जूनियर डॉक्टर दोबारा हड़ताल पर चले गए। डॉक्टरों का कहना है कि बारे में आश्वासन नहीं वेतन चाहिए वेतन मिलने के बाद ही दोबारा काम शुरू करेंगे।
रोजाना हजारों मरीज आते हैं एमजीएम
कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज आते हैं। जमशेदपुर के अलावा चांडिल, पटमदा, बोड़ाम, घाटशिला, आदित्यपुर, चाईबासा समेत अन्य इलाकों के मरीज यहां इलाज कराने आते हैं। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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