सार

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले का है। चक्रधरपुर प्रखंड के लुपुंगबेड़ा गांव निवासी ओझा-गुनी ने छह दिनों पूर्व जंगल से एक सांप को पकड़ मार दिया था। फिर सांप का सिर काटकर उसे सूखाया और भून कर खा गया। 

पश्चिमी सिंहभूम. सांप कांटने वाले मरीजों को झाड़-फूंक से ठीक करने के तरीके से तो आप रू-ब-रू होंगे।  झाड़-फूंक के चक्कर में कई मरीजों की जान भी चली जाती है। ऐसे में झाड़-फूंक के नए प्रयोग के चक्कर में एक ओझा ने ऐसा काम किया कि उसे अस्पताल जाना पड़ा। जिसने भी यह मामला सुना वह चौंक गया। मामला झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले का है। चक्रधरपुर में रहने वाले एक ओझा ने झाड़-फूंक के नए प्रयोग के चक्कर में जहरीले सांप का सिर ही खा लिया। उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। इलाज के बाद ओझा-गुनी दासर बोदरा (55) की हालत में सुधार है। अस्पताल के कर्मी भी यह मामला जान चौंक गए। 

मरे हुए सांप का सिर भूंज कर खाया
चक्रधरपुर प्रखंड के लुपुंगबेड़ा गांव निवासी ओझा-गुनी ने छह दिनों पूर्व जंगल से एक सांप को पकड़ मार दिया था। फिर सांप का सिर सूखने के लिए धूप में रख दिया था। रविवार को सांप को भूंजने के बाद सिर को खा लिया। जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। बैचेनी बढ़ने पर परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। उसकी हालत में सुधार है। लेकिन अब भी वह चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में इलाजरत है। 

झाड़-फूंक का काम करता है दासर बोदरा
दासर बोदरा सांप काटने वाले मरीजों को झांड़-फूंक के जरिए ठीक करने का दावा करता है। कई मरीज भी उसके पास पहले आ चुके हैं। इसके नए प्रयोग के चक्कर में उसने एक सांप को मारा था। ओझा-गुनी के इस हरकत की पूरे गांव के अलावा आस-पास के इलाकों में भी चर्चा हो रही है। झारखंड में यह ऐसा पहला मामला है जहां झाड़-फूंक के लिए किसी के द्वारा मरे हुए सांप का सिर खाने का मामला आया है। वैसे गांव वालों के बीच चर्चा है कि पत्नी से विवाद के बाद दासर बोदरा ने मरा हुआ सांप का सिर खा लिया।

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