सार

झारखंड में डायन के नाम पर महिलाओं की हत्या करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर एक महिला पर डायन होने का आरोप लगाते हुए उसकी हत्या कर दी गई। हत्या किसी और ने नहीं बल्कि महिला के देवर ने ही की। 

खूंटी (झारखंड). झारखंड में डायन के नाम पर महिलाओं की हत्या करने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर एक महिला पर डायन होने का आरोप लगाते हुए उसकी हत्या कर दी गई। हत्या किसी और ने नहीं बल्कि महिला के देवर ने ही की। महिला को लाठी और डंडे से देवर ने इतना पीटा की मौके पर ही उसकी मौत हो गई। मामला झारखंड के खूंटी जिले का है। जिले के मारंगहादा थाना क्षेत्र के मारंगहादा गांव का है। आरोपी मंगला नाग ने अपनी भाभी की हत्या इसलिए की क्योंकि उसे शक था कि उसकी भाभी डायन है और जादू टोना कर सब को बीमार करती है। इधर, सूचना पर पुलिस गांव पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जबकि फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।
 
तबीयत ठीक होने के बाद भाभी को मौत के घाट उतारा
बताया जा रहा है कि आरोपी मंगरा नाग की दो महीने पूर्व तबीयक खराब हो गई थी। काफी दिनों के बाद उसकी तबीयत में सुधार हुआ। बीमारी के वक्त आरोपी एक ओझा-गुनी के पास गया था तो ओझा द्वारा बताया गया था कि उसपर डायन का साया है। फिर उसे अपनी ही भाभी पर डायन होने का शक हुआ। लेकिन तबीयत खराब होने के कारण उसने कुछ नहीं किया। तबीयत ठीक होते ही आरोपी ने अपनी भाभी की लाठी-ंडंडे से पीट हत्या कर दी। घटना के बाद से गांव में दहशत का महौल है। महिला की हत्या करने के बाद आरोपी को ग्रामीणों ने पकड़ने का प्रयास किया लेकिन वह भागने में सफल रहा। इस मामले में पुलिस ने केस दर्द कर आरोपी की गिरफ्तारी के लिए रेड शुरु कर दी है। 

डायन के नाम पर लगातार हो रही हत्याएं
झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर महिलाओं की लगातार हत्याएं हो रही है। रांची में कुछ दिनों पूर्व एक भतीजे ने अपनी चाची की हत्या डायन का आरोप लगाते हुए कर दी थी। तमाड़ थाना क्षेत्र के बारेडीह गांव में यह मामला आया था। महिला गोबर फेंकने जा रही थी। इसी दौरान भतीजे ने महिला को मौत के घाट उतार दिया था। वहीं, खूंटी में डायन के नाम पर एक साथ तीन हत्याओं ने राज्य में सनसनी फैला दी थी। जबकि दुमका में डायन के आरोप में एक ही परिवार के तीन महिलाएं सामेत चार लोगों के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। ग्रामीणों ने इन्हें मैला तक पिलाया था। जबकि गर्म रड से भी दागा था।

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