सार
धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ (Sakat Chaturthi 2022) का व्रत रखा जाता है। इसे संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2022) भी कहते हैं। इस बार ये व्रत 21 जनवरी, शुक्रवार को है।
उज्जैन. सकट चौथ व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना के लिए उपवास रखती है। मान्यता है कि सकट चौथ का व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से परिवार के ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर व्रत रखती है और रात के समय भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा के दर्शन करते हुए उन्हें जल अर्पित कर व्रत का पारण करती हैं। आगे जानिए इस व्रत की विधि व अन्य खास बातें…
चंद्रोदय का समय व शुभ योग
21 जनवरी, शुक्रवार की सुबह लगभग 08:51 पर चतुर्थी तिथि आरंभ होगी, जो 22 जनवरी, शनिवार की सुबह लगभग 09:14 बजे तक रहेगा। 21 जनवरी को चंद्रोदय रात लगभग 9 बजे होगा। स्थान के अनुसार चंद्रोदय के समय में अंतर हो सकता है। शुक्रवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से सिद्धि नाम का शुभ योग भी इस दिन बन रहा है। इस शुभ योग में पूजन और व्रत करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
ये है पूजा विधि
- संकष्टी चतुर्थी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इस दिन पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
- इस दिन सबसे पहले पूजा स्थल की अच्छाई तरह से सफाई कर लें। इसके बाद लाल रंग के आसन पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
- उनके सामने घी का दीप प्रजवलित करें और सिंदूर से तिलक करें। इसके बाद गणेश जी को फल- फूल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
- पूजा में गणेश जी को 21 दूर्वा गांठे विभिन्न नामों से उच्चारित करके अर्पित करें।
- सकंष्टी चतुर्थी का व्रत शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए पूरा करें। इस दिन सामर्थ्य अनुसार दान करने का विशेष महत्व होता है.
- मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से गणेशजी की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते है, इसलिए इसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
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