सार
कोरोनावायरस महामारी ने बच्चों पर सबसे ज्यादा बुरा असर डाला है। इस महामारी की वजह से जहां बच्चे घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं, वहीं उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी इससे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।
लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोनावायरस महामारी ने बच्चों पर सबसे ज्यादा बुरा असर डाला है। इस महामारी की वजह से जहां बच्चे घरों में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं, वहीं उनकी पढ़ाई-लिखाई का भी इससे बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। देश में मार्च से ही कोरोनावायरस के मामले आने लगे थे। उसके बाद लॉकडाउन लग गया। तब से बच्चों के स्कूल बंद हैं। कुछ स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था की गई है, लेकिन बच्चों के लिए यह नाकाफी है। ऑनलाइन क्लासेस से बच्चे सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर सकते, बल्कि लैपटॉप और स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। जानें घर पर बच्चों को पढ़ाने के कुछ टिप्स।
1. पढ़ाई के लिए समय तय करें
घर पर बच्चों की पढ़ाई के लिए एक समय तय कर दें। यह स्कूल में लगने वाली कक्षाओं के पैटर्न पर भी किया जा सकता है। पढ़ाई के लिए रूटीन इस तरह बनाएं कि बच्चों को हर विषय पढ़ने का मौका मिल सके।
2. पढ़ाई के बीच में ब्रेक दें
बच्चे हों या बड़े, बहुत लंबे समय तक लगातार नहीं पढ़ सकते। उन्हें बीच में ब्रेक की जरूरत होती है। इसलिए उन पर लगातार पढ़ाई करने का दबाव नहीं बनाएं। उनके लिए सुबह, दोपहर और रात में पढ़ाई का समय तय करें।
3. पढ़ाई पर नजर रखें
बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, इस पर नजर रखें। उन्हें कोई काम पूरा करने के लिए दें और फिर उसे देखें। अगर बच्चे ने कोई गलती की हो, तो उसे समझाएं। इसी के साथ ही उन्हें अगले दिन के लिए कोई टास्क भी दें। इससे बच्चे में पढ़ाई को लेकर जिम्मेदारी की भावना बनी रहेगी।
4. कोर्स से अलग भी कुछ दें पढ़ने को
बच्चे हमेशा कोर्स की किताबें पढ़ कर बोर हो जाते हैं। इसलिए उन्हें कोई अच्छी कहानी या कविता की किताब या मैगजीन भी पढ़ने को दें। इससे बच्चों का मनोरंजन तो होता ही है, उन्हें नई बातें सीखने को भी मिलती हैं।
5. पढ़ाई के लिए माहौल हो अच्छा
बच्चों की पढ़ाई के लिए घर में एक खास जगह तय करें। वहां उनकी कुर्सी-मेज ठीक से लगाएं। वहां उनकी बुक शेल्फ भी रखें। पढ़ाई की जगह साफ-सुथरी और शांत होनी चाहिए। बच्चों को कहें कि वे खुद अपनी पढ़ाई की जगह को साफ-सुथरा रखें। इससे बच्चों में साफ-सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ती है। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों की पढ़ाई रूटीन के हिसाब से चलती रहे। ऐसा होने पर बच्चे पढ़ाई में पीछे नहीं रहेंगे।