सार
रविवार को चेन्नई में नेशनल लेवल कुकिंग कंपटीशन का हिस्सा बनने आई मास्टरशेफ फाइनलिस्ट अरुणा विजय ने अपने फ्यूचर प्लांस के बारे में बात की और बताया कि वह साउथ इंडियन क्यूज़ीन को ग्लोबल मंच पर ले जाना चाहती हैं।
फूड डेस्क: मास्टरशेफ इंडिया एक ऐसा मंच है जहां पर भारत के कोने कोने से लोग अपनी कुकिंग स्किल्स को दिखाने के लिए पहुंचते हैं। इस बार मास्टरशेफ की ट्रॉफी असम के नयनज्योति को मिली लेकिन तमिलनाडु की पहली साउथ इंडियन महिला जिसने मास्टरशेफ इंडिया के मंच पर अपना परचम लहराया वह रही अरुणा विजय, जिन्होंने अपने वेजीटेरियन साउथ इंडियन खाने से ना सिर्फ जजों को इंप्रेस किया बल्कि आज वह पूरे भारत में मशहूर हैं। हाल ही में एक कुकरी कंपटीशन का हिस्सा बनने चेन्नई पहुंची अरुणा विजय ने अपने फ्यूचर प्लान के बारे में बताया कि वह आगे कुकिंग में क्या करना चाहती हैं।
"साउथ इंडियन खाना केवल इडली-डोसा नहीं"
हाल ही में मीडिया को दिए इंटरव्यू में मास्टरशेफ इंडिया फाइनलिस्ट अरुणा विजय ने कहा कि 'मैं नेशनल लेवल पर कुकिंग कंपटीशन में भाग लेने वाली तमिलनाडु की पहली दक्षिण भारतीय महिला हूं। मैं हमारे बारे में इस मिथक को तोड़ना चाहती हूं कि हमारे व्यंजनों में केवल इडली और डोसा ही शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारे पास साउथ इंडियन व्यंजनों में बहुत बेहतर व्यंजन है और मैं यही दिखाना चाहती हूं। मैं नॉनवेज नहीं पकाती हूं। ऐसे में साउथ इंडियन क्यूज़ीन में वेजिटेरियन लोगों के लिए कितनी वैरायटी है इस मैं ग्लोबल लेवल पर दिखाने की कोशिश कर रही हूं।'
लैंग्वेज बैरियर के कारण दक्षिण भारतीय लोग रह जाते हैं पीछे
अपने इंटरव्यू के दौरान अरुणा विजय ने यह भी बताया कि लैंग्वेज बैरियर एक ऐसा कारण है जिसके चलते दक्षिण के लोग राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेने नहीं आते हैं, क्योंकि वह हिंदी नहीं जानते। मेरे लिए यह फायदा है क्योंकि मैं राजस्थान से आती और मेरी मातृभाषा हिंदी है, ऐसे में मुझे मास्टरशेफ के मंच पर समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
न्यूयॉर्क के रेस्टोरेंट में सर्व की जाएगी अरुणा विजय की डिश
बता दें कि मास्टरशेफ 2023 के दौरान अरुणा विजय ने अपनी 'मूर काली एंजी पुली चेतनी' डिश से जजों को इतना इंप्रेस किया था कि शेफ विकास ने उनकी यह डिश न्यूयॉर्क के रेस्टोरेंट में सर्व करने का फैसला किया था। इतना ही नहीं अरुणा को इंडियन फूड एंड बेवरेज अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार दक्षिण भारतीय क्षेत्रीय व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए मिला है। उन्होंने अपने इस अवार्ड के बारे में कहा कि मैं मारवाड़ी हूं, लेकिन तमिलनाडु मेरे लिए घर है और यही मेरी मातृभूमि है।
कॉन्टेन्ट सोर्सः आवाज द वाइस।
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