सार
नई दिल्ली। HMPV (Human Metapneumovirus) का संक्रमण तेजी से भारत में फैल रहा है। इसके साथ ही इसको लेकर डर भी लोगों के दिलों में समा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार HMPV भले अधिक संक्रामक है, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह अधिक घातक नहीं है।
AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को कहा कि HMPV के इलाज में एंटीबायोटिक्स की कोई भूमिका नहीं है। यह श्वसन संबंधी (सांस लेने से जुड़ी) बीमारी है। इससे बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और पौष्टिक भोजन खाना चाहिए।
HMPV के संक्रमण से हो सकता है निमोनिया
मेदांता गुरुग्राम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चेयरमैन गुलेरिया ने कहा कि यह वायरस नया नहीं है। इससे केवल हल्का संक्रमण होता है। इसके चलते अधिक उम्र के लोगों, छोटे बच्चों या कमजोर रोग निरोधी क्षमता वाले लोगों को निमोनिया हो सकता है। इससे सांस लेने में समस्या हो सकती है। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने की भी नौबत आ सकती है।
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें
गुलेरिया ने कहा कि HMPV वायरस से लगा संक्रमण आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। आपको केवल लक्षणात्मक इलाज की जरूरत होती है। बुखार के लिए दवा लें, पानी पीते रहें और अच्छा पोषण लें। लोगों को संक्रमण फैलने से रोकने के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
भारत में मिले हैं HMPV संक्रमण के सात मामले
भारत में अब तक HMPV संक्रमण के सात मामले सामने आए हैं। कर्नाटक में 2, तमिलनाडु में 2 और गुजरात में 1 बच्चे में HMPV का संक्रमण मिला है। सभी बच्चों की उम्र 3 महीने से लेकर 13 साल है। HMPV का संक्रमण हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। यह इन्फ्लूएंजा की तरह सांस से निकलने वाली छोटी बूंदों से फैलता है।
गुलेरिया ने कहा कि HMPV संक्रमण के मामले में इलाज लक्षण के अनुसार किया जाता है। बुखार और शरीर के दर्द को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीने, पैरासिटामोल या कोई अन्य दवा लेने की आवश्यकता होती है। यदि आपको खांसी और जुकाम जैसे कोई अन्य लक्षण हैं तो सर्दी और खांसी जैसे एलर्जी संबंधी लक्षणों को कम करने के लिए एंटी-एलर्जिक दवा ली जा सकती है। HMPV के लिए कोई खास एंटीवायरल दवा नहीं है। एंटीबायोटिक्स लेने की कोई भूमिका नहीं है।
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