सार

क्या आपको दिन में बहुत नींद आती है? जानें डिमेंशिया और अत्यधिक नींद के बीच संबंध। डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण, कारण और बचाव के उपाय हिंदी में पढ़ें। बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी जानकारी।

हेल्थ डेस्क। बिजी वर्क लाइफ के बीचन नींद न आने की समस्या से युवा से लेकर बुजुर्ग तक भूल रहे हैं। इसी बीच भूलने की बीमारी यानी डिमेंशिया भी बढ़ता जाता रहा है। डिमेंशिया न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है जो ब्रेन सेल्स को प्रभावित करती हैं। इस डिसऑर्डर का समय रहते इलाज न किया जाये तो रोजमर्रा की चीजें भी मुश्किल से हो पाती हैं। बीते कई सालों में पाया गया है,दुनियाभर में ये न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में जानेंगे आखिर ये इतनी खरतनाक बीमारी क्या है और इसके लक्षण कौन से है।

डिमेंशिया का नींद से संबंध

अक्सर दिन में नींद आती है तो ये शरीर के लिए खतरे की घंटी है। हाल में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट में खराब नींद और डिमेंशिया के बीत संभावित खतरों को उजागर करती है। शोध के अनुसार 35 फीसदी लुक में एक्सपेरिमेंट किया गया। जहां .5% प्रतिभागियों ने दिन में अत्यधिक नींद महसूस करने की शिकायत की, उनमें MCR विकसित होने की संभावना अधिक पाई गई। MCR को डिमेंशिया का एक प्रारंभिक संकेत माना जाता है। खास बात है,ये अध्यन 445 बुजुर्गों (औसत उम्र 76 साल) पर तीन वर्षों तक किया गया। शुरुआत में किसी भी प्रतिभागी को हल्की मानसिक अक्षमता (MCI) नहीं थी, लेकिन अध्ययन के अंत तक 36 लोगों में MCI विकसित हुआ। खराब नींद वाले प्रतिभागियों में MCI विकसित होने की संभावना अधिक थी। हालांकि, जब डिप्रेशन (अवसाद) को ध्यान में रखा गया, तो खराब नींद और MCI के बीच का संबंध कम हो गया। इससे पता चलता है कि खराब नींद के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी डिमेंशिया के खतरे को बढ़ाने में भूमिका निभाता है।

जानें डिमेंशिया बीमारी के बारे

मेडिकल एक्सपर्ट मानते हैं डिमेंशिया कोई खास बीमार नहीं है। ये बस मेंटल स्टेट में गिरावट दिखाने वाला एक शब्द है जो डेली लाइफ को अफेक्ट करता है। ये कई तरह के होते हैं। जिसमें सबसे पहला नाम अल्जाइमर है। ये डिमेंशिया सबसे बेसिक प्रकार है। इस बीमारी से ज्यादातर बुजुर्ग प्रभावित है। ये उम्र के साथ बढ़ने वाली बीमारी नहीं है लेकिन ये मस्तिष्क को प्रभावित कर सकती हैं। शोध में साामने आया कि 2022 में अमेरिका में 3.8% पुरुष और 4.2% महिलाएं डिमेंशिया से पीड़ित थीं। साल दर साल ये आंकड़ा और बढ़ता जा रहा है। 65-74 वर्ष के लोगों में यह 1.7% है, जबकि 85 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में यह 13.1% तक पहुंच चुका है। ऐसे में ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि ज्यादा नींद आना डिमेंशिया के लक्षण हो सकती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किये तो ये बहुत बीमारी का रूप ले सकता है।

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