सार
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि वायरस ज्यादातर छोटे जानवरों को प्रभावित करता है, और मानव मामले बेहद दुर्लभ हैं। अलास्का में फैलने के कारण इसका नाम अलास्का पॉक्स दिया गया है।
हेल्थ डेस्क. पूरी दुनिया के हेल्थ एक्सपर्ट अलग-अलग वायरस के खतरे की आशंका से परेशान है और इसे लेकर कई तरह के रिसर्च भी चल रहे हैं। हाल ही में अमेरिका के अलास्का प्रांत में अलास्का पॉक्स नामक वायरस का केस सामने आया है। साउथसेंट्रल अलास्का में एक बुजुर्ग व्यक्ति की इस वायरस से मौत हो गई है। अलास्का चेचक और एमपॉक्स से संबंधित एक नया वायरस है, जिसमें अक्सर त्वचा पर घाव या फुंसी जैसे घाव होते हैं।
2015 में पहली बार फेयरबैंक्स, अलास्का में एक मरीज में पहचाने जाने के बाद से वायरस केवल छह अन्य व्यक्तियों में रिपोर्ट किया गया है जो इसी राज्य में रहते हैं। यह पहला गंभीर संक्रमण का मामला है जिसकी वजह से मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और उसकी मौत हो गई। यह वायरस जो स्तनधारी छोटे जानवरों से इंसानों में फैल रही है और दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट इसे लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।
कैंसर से भी पीड़ित था मरीज
जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई, उसमें संक्रमण के पहले लक्षण सितंबर 2023 में विकसित हुए। जब उसकी दाहिनी बगल में एक कोमल लाल दाना दिखाई दिया। उस व्यक्ति का कैंसर का इलाज चल रहा था। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि उसका इम्युन सिस्टम कमजोर होने की वजह से यह बीमारी खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। एंटीबायोटिक्स और हैवी ट्रीटमेंट होने के बाद भी रोगी का घाव नहीं भर रहा था। कुपोषण और किडनी फेलन होने की वजह से इस साल के अंत में मौत हो गई।
अलास्का पॉक्स के लक्षण क्या हैं?
अलास्का पॉक्स के कारण होने वाले त्वचा के घाव मवाद से भरे छाले बन सकते हैं और संभावित प्रसार को रोकने के लिए इन्हें पट्टी से ढककर रखना चाहिए। यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एमडी जॉन्स हॉपकिन्स में संक्रामक रोगों के विभाग में प्रोफेसर स्टुअर्ट सी.रे कहते हैं, "घाव हफ्तों या महीनों तक रह सकते हैं लेकिन निशान छोड़ने के जोखिम के साथ ठीक हो जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।अन्य सामान्य लक्षणों में सूजन लिम्फ नोड्स और जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं।
जानवर से मनुष्य में फैलता है
अलास्का स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सबूत बताते हैं कि अलास्कापॉक्स (जिसे AKPV के रूप में भी जाना जाता है) मुख्य रूप से छोटे स्तनधारियों, विशेष रूप से लाल पीठ वाले वोल्ट और छछूंदरों में होता है। हालांकि, बिल्लियां और कुत्ते मनुष्यों में बीमारी फैलाने में भूमिका निभा सकते हैं।
ज्यादा खतरनाक नहीं अलास्का पॉक्स
डॉ. रे कहते हैं, 'लोगों को चिंतित नहीं होना चाहिए।' वर्तमान में उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह उस भौगोलिक क्षेत्र में भी एक दुर्लभ संक्रमण है जहां इसका जिक्र किया गया है। यह आमतौर पर जीवन के लिए खतरा नहीं है।
और पढ़ें:
चबाकर खाएं तरबूज तो 5 फायदे कर देंगे हैरान, वजन बढ़ने का भी नहीं सताएगा डर
Bananas है रोजना खाना! वो 10 कारण जो हर रोज आपको केला खाने पर कर देगा मजबूर