सार
IVF उन महिलाओं के लिए वरदान हैं जो नेचुरल तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं। शरीर के बाहर स्पर्म और एग को मैन्युअल रूप से मिलाया जाता है, फिर बच्चे के आगे के विकास के लिए उसे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता हैं।
हेल्थ डेस्क. शार्क टैंक इंडिया 2 (Shark Tank India 2) की जज नमिता थापर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्हें अपनी दूसरी प्रेग्नेंसी के दौरान IVF (आईवीएफ ) के दो असफल प्रयासों का सामना करना पड़ा। उनके लिए पहली बार प्रेग्नेंट होना आसान था। लेकिन दूसरी बार ज्यादा कोशिश करना पड़ा, क्योंकि चीजें उनके लिए काम नहीं कर रही थीं। तो चलिए बताते हैं आईवीएफ क्या है और महिलाएं क्यों मां बनने के लिए इसका चुनाव करती हैं।
आईवीएफ क्या है
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक प्रकार की असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) है जिसे मानव शरीर के बाहर एक बच्चे को गर्भ धारण करने के लिए विकसित किया गया है। बच्चे के आईवीएफ गर्भाधान में मानव शरीर के बाहर स्पर्म और एग को मैन्युअल रूप से मिलाया जाता हैं। फिर भ्रूण के निषेचन के लिए गर्भाशय के अंदर रखा जाता हैं। सामान्य प्रसव के जरिए बच्चा बाहर निकलता है।
आईवीएफ में कितना वक्त लगता है
आईवीएफ को पूरा होने में आमतौर पर महीनों का समय लगता है। आमतौर पर यह उन जोड़ों के लिए जाने वाले विकल्पों में से एक है जो स्वाभाविक रूप से गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं हैं। आईवीएफ से गुजरने वाली अधिकांश महिलाओं को गर्भवती होने के लिए प्रक्रिया के एक से अधिक बार इसे ट्राई करना पड़ता है।
महिलाएं आईवीएफ का विकल्प क्यों चुनती हैं?
आईवीएफ उन महिलाओं या कपल के लिए बेहतर विकल्प हैं जो गर्भाधारण करने में सक्षम नहीं हैं। यह विकल्प ज्यादातर द्वारा चुना जाता है। इसके अलावा ये महिलाएं आईवीएफ का विकल्प चुनती हैं-
-कम प्रजनन दर वाली महिलाएं
-40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं
-क्षतिग्रस्त या बाधित फैलोपियन ट्यूब वाली महिलाएं
-एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय फाइब्रॉएड और कम डिम्बग्रंथि समारोह वाली महिलाएं
-कम शुक्राणु संख्या वाले पुरुष, कम शुक्राणु गतिशीलता या शुक्राणु असामान्यताएं
आईवीएफ से जुड़े जोखिम क्या हैं?
आईवीएफ से गुजरने में महिलाओं को कई जोखिम का सामना करना पड़ता हैं। सबसे आम कारक हैं, सभी महिलाओं का आईवीएफ सफल नहीं पाता हैं। गर्भपात का खतरा बढ़ जाता हैं। आईवीएफ से गुजरने वाली गर्भवती महिलाओं के कुछ लक्षणों में लगातार सिरदर्द, लंबे समय तक पेट में दर्द, मूत्र संबंधी समस्याएं, मतली और बेहोशी या चक्कर आना शामिल हैं।
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