सार
हिन्दु-मुस्लिम, सिक्ख-ईसाई सभी धर्मों में कुछ अनोखी परंपराएं और मान्यताएं हैं। ऐसी ही एक परंपरा नदी में नए सिक्के फेंकने की परंपरा भी है। सिक्का फेंकने के पीछे क्या कारण है आइए जानते हैं।
रिलीजन डेस्क। समाज में सभी धर्मों में पूजा-पाठ और कर्मकांड को लेकर तमाम तरह की परंपराएं भी देखने को मिलती हैं। कुछ मान्यताएं वेद-पाठों में लिखी हैं तो कुछ सदियों से चली आ रही हैं लेकिन लोगों को इसका कारण नहीं पता है। ऐसे ही हम अक्सर नदियों में स्नान करने जाते हैं या फिर कभी किसी पुल के ऊपर से गुजरते वक्त नीचे से नदी में हम अक्सर सिक्का डाल देते हैं। आखिर नदी में सिक्का क्यों डालते हैं और इसका क्या लाभ या कारण है आइए जानते हैं।
अक्सर दूसरों के कहने पर या किसी को देखकर हम नदी में पैसा डाल देते हैं। कुछ लोग इसे आस्था मानते हैं तो कुछ इसे अंधविश्वास, लेकिन ये भी सच है कि सौ में 50 फीसदी लोग नदियों में सिक्का फेंकते हैं। कुछ लोग नदी में सिक्का फेंककर कोई विश भी मांगते हैं।
जानें क्या है धार्मिक परंपरा
नदी में सिक्का डालने के पीछे काफी पुरानी धार्मिक मान्यता है। इसके अनुसार सिक्का डालने से नदी की देवी प्रसन्न होकर घर में कृपा बरसाती है। जल्दी ही अच्छी खबर सुनने को मिलती है। यह परंपरा तब से चली आ रही है जब से लोग नदियों के किनारे बसना शुरु हुए थे। पहले तांबे के सिक्के चलते थे। लोग तांबे के सिक्के नदियों में डालते थे। पुराने जमाने में लोग नदीं में सिक्का डालने को गुडलक विषय से जोड़कर देखते थे।
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तांबे का सिक्का शुद्ध करता है जल
वैसे तो लोग सामान्यत: नदियों में सिक्का पूजा-पाठ और अपनी मनौती पूरी करने के लिए डालते थे लेकिन यदि इसका वैज्ञानिक पक्ष देखें तो तांबे के सिक्के फेंकने से नदियां का जल की शुद्धता बढ़ जाती थी। आज की तारीख में तांबे के सिक्के नहीं चलते और स्टील के सिक्कों का चलन है। हालांकि इन सिक्कों को डालने से नदियों को कोई लाभ नहीं होता लेकिन पुरानी मान्यता और देखादेखी में लोग नदियों में सिक्का फेंककर विश मांगते हैं।