सार
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में निरंजनी, जूना, बड़ा और उदासीन पंचायती अखाड़ा जैसे प्रमुख अखाड़े आकर्षण का केंद्र होंगे। जानें इन अखाड़ों का इतिहास और महत्व।
ट्रैवल डेस्क। प्रयागराज महाकुंभ के लिए तैयार है। सोशल मीडिया से लेकर देश के हर गली-मोहल्ले तक केवल कुंभ मेले की चर्चा है। एक महीनें तक चलने वाला महाकुंभ में सांधु-संतों की भीड़ प्रयागराज में उमड़ेगी। इस दौरान एक से बढ़कर एक रूप भी देखने को मिलेंगे। हालांकि इसी बीच सबसे ज्यादा चर्चा अखाड़ों की हो रही है। आमतौर पर इन्हें कुश्ती के मैदान कहा जाता है लेकिन धार्मिक महत्व में इसकी अपनी अलग परिभाषा है। देश में साधु-संतों के कई अखाड़े हैं। जो मेले के दौरान आकृषण का प्रमुख केंद्र होते हैं। इस दौरान अखाड़ों का नगरप्रवेश होता है। अखाड़ा साधु वो होते हैं तो शस्त्र विद्या में निपुण माने जाते हैं। जानकारी के अनुसार, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अखाड़ों की शुरुआत आदिक शंकराचार्य ने की थी। ऐसे में हम आपको 5 प्रसिद्ध आखड़ों के बारे में बताएंगे।
1) निरंजनी अखाड़ा
जब बात सबसे प्रसिद्ध अखाड़ों की आती है तो निरंजनी अखाड़े का नाम सबसे पहले लिया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये देश के सबसे पुराने और प्रभावशाली अखाड़ों में से एक है।
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2) अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का मुख्यालय अयोध्या में स्थित है। बताया जाता है, ABAP विभिन्न अखाड़ों की गतिविधियों की देखरेख करने और हिंदू धर्म की परंपराओं और मूल्यों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में प्रभावशाली है।
3) जूना अखाड़ा
जूना अखाड़ा सबसे बड़े और सबसे प्रतिष्ठित अखाड़ों में से एक है, जो विशेष रूप से नागा साधुओं (तपस्वियों) के साथ अपने जुड़ाव के लिए जाना जाता है। यह अखाड़ा कुंभ मेले में अपनी भागीदारी और अपनी मजबूत आध्यात्मिक प्रथाओं के लिए प्रसिद्ध है। जूना अखाड़ा का मुख्यालय वाराणसी में स्थित है।
4) बड़ा अखाड़ा
बड़ा अखाड़ा को "महान अखाड़ा" के रूप में भी जाना जाता है। जो प्रयागराज का प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है। यह शारीरिक और आध्यात्मिक प्रशिक्षण पर अपने ध्यान के लिए प्रसिद्ध है, और यह शहर के प्रमुख अखाड़ों में से एक है। इसका मुख्यालय वाराणसी में है।
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5) उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा
उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा की स्थापना 1825 में की गई थी। बताया जाता है, अखाड़ा की नींव हरिद्वार में पड़ी थी लेकिन इसका प्रमुख आश्रम प्रयागराज में स्थित है।
भारत में स्थित कुल 13 अखाड़े
बता दें, भारत में अखाड़ों को तीन भागों, शैव, वैष्णव और उदासीन में बांटा गया है। जहां शैव संप्रदाय में कुल सात अखाड़े हैं। यहां के साधु-संत भगवान शिव की पूजा करते हैं। इसके बाद वैष्णव अखाड़ा आता है। इसके तीन अखाड़े हैं जो भगवान विष्णु और उनके अवतारों के अनुयायी हैं। इसके अलावा उदासीन अखाड़ों की भी संख्या तीन है, जो 'ॐ' के अनुयायी हैं।
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