सार
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं सुभाष चंद्र बोस के ऐसे 10 अनमोल वचन जो सभी युवाओं को प्रेरणा देते हैं।
लाइफस्टाइल डेस्क: वह नारा तो सभी को याद होगा- तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। ऐसे ही कई नारे और अनमोल वचन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई के दौरान दिए। आज के दौर में भी हर युवा वर्ग के लिए उनके कहे हुए वचन प्रेरणा देते हैं। देश को स्वतंत्रता दिलाने में उन्हें महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज 23 जनवरी 2023 को उनकी 127वीं जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में हम आपको बताते हैं उनके 10 ऐसे अनमोल वचन और कथन जो हम सभी के जीवन को चरितार्थ कर सकते हैं...
1. अगर संघर्ष न रहे, किसी भी भय का सामना न करना पड़े, तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है- सुभाष चंद्र बोस
2. ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिलेगी, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए- सुभाष चंद्र बोस
3. जीवन में प्रगति का आशय यह है कि शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे- सुभाष चंद्र बोस
4. मत भूलो कि सबसे बड़ा अपराध अन्याय और गलत से समझौता करना है। शाश्वत कानून याद रखें: यदि आप प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको देना होगा- सुभाष चंद्र बोस
5. एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा: सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहते है, वो अजेय है। अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो- सुभाष चंद्र बोस
6. मुझे ये देखकर बहुत दुःख होता है कि मनुष्य- जीवन पाकर भी उसका अर्थ समझ नहीं पाया है। यदि आप अपनी मंजिल पर ही पहुंच नहीं पाए, तो हमारे इस जीवन का क्या मतलब- सुभाष चंद्र बोस
7. मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती- सुभाष चंद्र बोस
8. जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं और उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं- सुभाष चंद्र बोस
9. मां का प्यार सबसे गहरा होता है- स्वार्थरहित। इसको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता है- सुभाष चंद्र बोस
10. अगर कभी झुकने की नौबत आ जाए तब भी वीरों की तरह झुकना- सुभाष चंद्र बोस