सार

लिफ्ट में शीशा सिर्फ दिखावे के लिए नहीं होता! यह क्लॉस्ट्रोफ़ोबिया से बचाव और सुरक्षा के लिए भी ज़रूरी है। जानिए, कैसे शीशा छोटी जगह को बड़ा दिखाता है और सफर को आरामदायक बनाता है।

कोई भी बहुमंजिला इमारत हो या मॉल, लिफ्ट की सुविधा तो ज़रूर होती है। लिफ्ट/एलिवेटर आपको ऊपर-नीचे ले जाने का काम करते हैं। इन लिफ्ट में शीशा लगा होता है, ये आपने देखा होगा। आजकल ज़्यादातर लिफ्ट में शीशा लगाया जाता है। जापान में तो इसे अनिवार्य कर दिया गया है। लिफ्ट या एलिवेटर में शीशा क्यों लगाया जाता है, ये हम इस लेख में जानेंगे। 

लिफ्ट में एंट्री करते ही लोग शीशे में खुद को देखने लगते हैं। महिलाएं अपने बाल, पुरुष अपनी शर्ट ठीक करते हैं और इसी बीच आपकी मंज़िल आ जाती है। जापान एलिवेटर एसोसिएशन ने शीशा लगाना अनिवार्य कर दिया है। ये शीशा सिर्फ़ सजावट के लिए नहीं लगाया जाता। लिफ्ट में शीशा लगाने से उसमें सफ़र करने वालों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, ये जानकर आपको हैरानी होगी। 

पहले लोग लिफ्ट में जाने से हिचकिचाते थे। क्योंकि लिफ्ट की जगह बहुत छोटी होती है। इतनी छोटी जगह में जाने से लोग डरते थे। इस डर को क्लॉस्ट्रोफ़ोबिया भी कहते हैं। इसी डर को दूर करने के लिए लिफ्ट में शीशा लगाने का आइडिया आया।

शीशा लगा होने से छोटी जगह भी बड़ी दिखती है। शीशे का प्रतिबिंब जगह को बड़ा दिखाता है। इससे लिफ्ट में सफ़र करते समय किसी तरह का डर नहीं लगता। कुछ इमारतों में लिफ्ट में एक-दो मिनट तक का समय बिताना पड़ता है। ऐसे में शीशा लगाना ज़रूरी है। शीशा होने से लोग अपना प्रतिबिंब देखकर समय बिताते हैं। इससे घुटन या डर नहीं लगता।

लिफ्ट में आते ही शीशे की तरफ मुँह करके खड़े होने से आप देख सकते हैं कि आपके पीछे कौन खड़ा है। अपने आगे-पीछे वालों पर नज़र रख सकते हैं। इन्हीं सब कारणों से लिफ्ट में शीशा लगाया जाता है।