Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक अनोखा मामला आया। कोरोना में वकील की नौकरी छूट गई और पत्नी को प्रिंसिपल की नौकरी मिल गई। इसके बाद पत्नी पति को बेरोजगार कहकर ताने देने लगी। आहत पति कोर्ट पहुंचा और इस पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया।
Divorce Case In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति को बड़ी राहत देते हुए पत्नी के साथ तलाक को मंजूरी दे दी। फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी खारिज होने के बाद पति ने हाईकोर्ट का रुख किया था। पत्नी उसे बेरोजगार कहकर ताने देती थी और बच्चों समेत उसे छोड़कर चली गई थी।पति ने काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानीं। इस डिवोर्स केस से यह स्पष्ट होता है कि पति को ताने मारना भी क्रूरता की श्रेणी में आता है।
प्रिंसिपल की नौकरी मिलते ही पत्नी की बदल गई चाल
कहानी भिलाई के रहने वाले अनिल से जुड़ी है, जिनकी शादी 26 दिसंबर 1996 को हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। पत्नी के साथ अनिल खुशहाल जीवन बिता रहे थे और उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। हालांकि, शादी के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच विवाद बढ़ने लगे। अनिल का आरोप है कि पत्नी ने पीएचडी करने के बाद प्रिंसिपल की नौकरी ज्वाइन की और उसके बाद से उसका व्यवहार बदल गया। वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने लगी थी।
पत्नी ने बेरोजगार कहकर बार-बार दिए ताने
कोरोना काल में अनिल की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। पेशे से वकील अनिल पर दुख का पहाड़ तब टूटा जब कोर्ट बंद होने के कारण उनकी आमदनी रुक गई। इसके बाद पत्नी से विवाद और गहरा गया। वह अक्सर अनिल को बेरोजगार कहकर ताने देने लगी। 2020 में हुए झगड़े के बाद वह बेटी को लेकर अपनी बहन के पास चली गई। कुछ दिन बाद वह लौटी, लेकिन घर बसाने के लिए नहीं, बल्कि हमेशा के लिए छोड़कर जाने के लिए। 16 सितंबर 2020 को वह एक पत्र छोड़कर गायब हो गई, जिसमें लिखा था कि वह अपनी मर्जी से पति और बेटे से सारे रिश्ते तोड़ रही है।
फैमिली कोर्ट में लगाई तलाक की अर्जी
अनिल ने पत्नी को वापस लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह न मानी और न ही घर लौटी। इसके बाद उसने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई। कोर्ट में अनिल ने बताया कि उसने पत्नी को मनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह नहीं आई। वह अपनी मर्जी से बेटे को उसके पास छोड़ गई और बेटी को साथ ले गई। इतना ही नहीं, घर पर रहने के दौरान वह गाली-गलौज करती थी और बेरोजगार कहकर ताने मारती थी। यह सब उसके साथ मानसिक क्रूरता के समान था। हालांकि तमाम तर्कों के बावजूद दुर्ग फैमिली कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में अर्जी खारिज कर दी।
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बेरोजगार कहकर ताने मारना माना गया मानसिक क्रूरता
इसके बाद अनिल ने हाईकोर्ट में अपील की। पत्नी को कोर्ट में बुलाने के लिए समन जारी किया गया और अखबार में प्रकाशन भी किया गया, लेकिन इसके बावजूद वह कोर्ट में पेश नहीं हुई। हाईकोर्ट ने पति के गवाह के साथ-साथ पत्नी की ओर से छोड़े गए लेटर के आधार पर फैमिली कोर्ट का फैसला खारिज करते हुए तलाक पर मुहर लगा दी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने बिना किसी वैध कारण के पति को छोड़ा और उसे बेरोजगार कहकर ताने मारे, जो मानसिक क्रूरता साबित होता है।
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