सार
Domestic Violence Survivor Success Story: पति अक्सर नशे की हालत में अपनी पत्नी को लगातार पीटता और फिर ठहाका लगाकर हंसता था। दुलौरिन रात-रात भर सिसकती और पिटाई से बचने के लिए रहम की याचना करती रहती थी।
रिलेशनशिफ डेस्क: अगर ठान लो तो सबकुछ मुमकिन है। ऐसी ही कहानी है 35 साल की दुलौरिन मरकाम की। 16 साल की उम्र में निर्मल नाम के आदमी से दुलौरिन की शादी हो गई है। ब्याह के बाद नई दुल्हन छत्तीसगढ़ के कासपुर गांव में अपने दूल्हे के साथ ससुराल में जीवन शुरू करने के लिए आई थी। जैसे-जैसे शादीशुदा जीवन आगे बढ़ रहा था, दुलौरिन देखते ही देखते चार बच्चों की मां बन गई। इस तरह दुलौरिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच पूरी तरह फंस चुकी थी तो वहीं उसका पति शराब का आदी हो गया। नशे की लत के कारण निर्मल पैसा कमाने के लिए काम भी नहीं करता था। हद तो यह थी कि निर्मल अक्सर नशे की हालत में अपनी पत्नी को लगातार पीटता और फिर ठहाका लगाकर हंसता था। दुलौरिन रात-रात भर सिसकती और पिटाई से बचने के लिए रहम की याचना करती रहती थी।
पति की मारपीट से बदत्तर हो रही थीं चीजें
देश के कई हिस्सों में पूरी तरह से ऐसे किस्से अनसुने रह जाते हैं। निर्मल की मानसिक कंडीशन लगातार गिरती जा रही थी और यह उसे अपराधी बना रही थी। साल 2010 की शुरुआत में वह इतना जल्लाद हो गया कि पड़ोसियों ने उसे पागल कहना शुरू कर दिया। दुलौरिन मरकाम बताती हैं- ‘मुझे अपने पति को जंजीरों से बांध कर रखना पड़ता, नहीं तो वह अपनी मानसिक बीमारी के कारण मुझे पीटता रहता। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। स्थानीय चिकित्सकों की मदद से सुधार के संकेत दिखाए, लेकिन 2016 में चीजें बदतर हो गईं और पिटाई बंद नहीं हुई।’
पति से तंग आकर ऐसे आत्मनिर्भर बनी पत्नी
दुलौरिन मरकाम को पति रातभर पीटता था। अब धीरे-धीरे परिवार के 8 लोगों का खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी उस पर आ चुकी थी। वो अपने पास मौजूद छोटी सी जमीन पर धान की खेती करती और दिहाड़ी भी करती। ये मेहनत काफी नहीं थी कई बार तो दुलौरिन को भूखे ही सोना पड़ता था। बाद में दुलौरिन मरकाम स्वयं सहायता समूह (SHG) में शामिल हो गईं। यहां उसने विकासात्मक संगठन प्रदान द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में भाग लेकर प्राकृतिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करने के बारे में सीखा। इसी को दुलौरिन मरकाम ने अपनी फसल पर इस्तेमाल करने का फैसला किया। धान उगाने पर उसे उस साल खेत में 52 क्विंटल धान पैदा हुई। दुलौरिन ने इसी पैसे से अपनी सबसे बड़ी बेटी को 200 किमी दूर जगदलपुर में एक स्कूल में दाखिला दिलाया।
सब्जियों की खेती से मछली पालन तक का कर रही काम
दुलौरिन मरकाम यहीं नहीं रुकी उसने सब्जियों की खेती करना सीखा। उसने करेले और मिर्च के पौधे तैयार कर अपने घर में आसपास खाली पड़ी जमीन पर लगाए। 1,800 रुपये के शुरुआती निवेश से उसे 9,600 रुपये मिले। सब्जियों के बाद बीन्स और सर्दियों में सूरजमुखी के बीज भी अब उसने लगाने शुरू कर दिए। इस तरह बरसों से बंजर भूमि को देखते ही देखते दुलौरिन मरकाम ने उपजाऊ बना लिया। बच्चों ने भी खेतों में काम करने को कहा लेकिन दुलौरिन ने उनके पढ़ाई पूरी करने को कहा। अब जब दुलौरिन ने अपनी आय बढ़ाने के लाभों को देख लिया तो वह रुकना नहीं चाहती थी। उसने अपनी जमीन देकर तालाब खुदवाया और 2 किलो फिंगरलिंग्स (बेबी फिश) खरीदी। इस नस्ल की मछलियों को बेचकर उसे एक अच्छी आय मिली।
आज एग्रीकल्चर एंटरप्रेन्योर हैं दुलौरिन मरकाम
शादी के बाद दुलौरिन मरकाम ने कभी नहीं सोचा था कि वह अपने परिवार की कमाऊ सदस्य बनेगी। अब दुलौरिन मरकाम एक एग्रीकल्चर एंटरप्रेन्योर है। उसके पास पूरे गांव के लोग हैं जो उन्हें फसलों को बढ़ाने और कृषि पद्धतियों को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण के लिए विभिन्न इनपुट के लिए बुलाते हैं। पूरे गांव ने उसका सम्मान करना शुरू कर दिया है।
Images courtesy PRADAN
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