सार
पुरुषों का शादी से डरना प्यार या कमिटमेंट की कमी नहीं है, बल्कि सामाजिक अपेक्षाओं, व्यक्तिगत चिंताओं और वर्तमान हालातों से पैदा होता है।
रिलेशनशिप डेस्क. आज के वक्त में जेंडर रोल तेजी से बदल रहा ही है। जिसकी वजह से मैरेज एक गंभीर चर्चा का सब्जेक्ट बन गया है। जहां कई महिलाएं कमिटमेंट और स्टेबिलिटी वाले पार्टनर की तलाश में हैं। वहीं बड़ी संख्या में पुरुष शादी से दूर भाग रहे हैं। वो किसी भी बंधन में बंधने को तैयार नहीं हैं। सवाल है कि पुरुष शादी से क्यों डर रहे हैं और इसका मॉर्डन रिलेशनशिफ पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? आइए 5 वजह जानते हैं।
1.असफलता का डर और परफेक्ट होने का दबाव
मैरेज हमेशा से सोशल एक्सपेक्टेशन से भरी हुई है। पुरुषों के लिए यह एक दबाव का काम करता है। परंपरागत मान्यताएं है कि पुरुषों को ही फैमिली संभालना होता है और वो ही उनका रक्षक होता है। जबकि आज के वक्त में महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हैं। कई पुरुष इन पुराने मानकों और नई वास्तविकताओं के बीच सामंजस्य नहीं बिठा पाते हैं। वो आर्थिक रूप से, इमोशनल रूप से खुद को असफल होने से डरते हैं।कोई भी इंसान ऐसा कदम उठाना नहीं चाहता है जिसमें असफलता मिले।
2. तलाक का साया
तलाक की दरें, जो लगभग 50% तक पहुंच चुकी हैं, पुरुषों को खास तौर पर डराती हैं। शोध से पता चला है कि तलाक के बाद पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक इमोशनल और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कस्टडी के लिए लड़ाई, एलिमनी भुगतान, और रिश्ते टूटने की दर्दनाक कहानियां शादी को एक बड़ा जोखिम भरा दांव बना देती हैं। इस डर से कई पुरुष अकेले रहने या गैर-पारंपरिक रिश्तों को प्रॉयरिटी देते हैं।
3.स्वतंत्रता जाने का डर
शादी एक खूबसूरत रिश्ता है, लेकिन इसमें त्याग भी करना पड़ता है। जो पुरुष अपनी स्वतंत्रता को महत्व देते हैं, उनके लिए जीवन का हर पहलू साझा करना मुश्किल लग सकता है। कई पुरुष यह सोचते हैं कि शादी के बाद उनकी "आजादी" खत्म हो जाएगी।बिना पूछे फैसले लेने की क्षमता, अपने शौक और दोस्तों के साथ समय बिताने की आजादी। यह धारणा, भले ही पूरी तरह सही न हो, शादी के प्रति उनकी झिझक बढ़ा देती है।
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4. आर्थिक चिंताएं
शादी महंगी हो सकती है, और इसका लंबा आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है। खर्चों को साझा करना और वित्तीय स्वतंत्रता को खोने का डर, कई पुरुषों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। अगर तलाक हो जाए, तो संभावित आर्थिक नुकसान का डर शादी को और भी डरावना बना देता है।
5. इमोशनल इनसिक्योरिटी
समाज ने हमेशा पुरुषों को सिखाया है कि भावनाएं दिखाना कमजोरी है। लेकिन शादी में भावनात्मक खुलापन और ईमानदारी की जरूरत होती है। वे यह नहीं सीखते कि अपनी भावनाओं को कैसे प्रभावी तरीके से व्यक्त करें, और यह डर उन्हें शादी से दूर रखता है।
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