Relationship Tips By Sri Sri Ravishankar: श्री-श्री रविशंकर के अनुसार, शादी के बाद किसी और से स्नेह होना स्वाभाविक है, पर संबंध नहीं। आकर्षण और प्रेम में अंतर समझना ज़रूरी है। अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार रहें और संवाद बनाए रखें।

Relationship Tips: शादी एक पवित्र बंधन हैं और ये जीवनभर का कमिटमेंट माना जाता है। लेकिन मॉडर्न युग में रिश्तों रिश्तों की जटिलताओं और भावनाओं के उतार-चढ़ाव के कारण यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या शादी के बाद भी किसी और से प्यार हो सकता है? क्या शादी के बाद किसी से प्यार हो जाए तो यह गलत है? इस विषय पर आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर जी ने बहुत ही बैलेंस और गहन नजरिया शेयर किया है। जिसे हर स्त्री और पुरुष को जानना चाहिए, जो इस तरह के सिचुएशन से गुजर रहे हैं।

महाराज जी से सवाल पूछा गया

क्या शादी के बाद भी किसी और से प्यार हो सकता है और अगर हो गया है तो क्या करना चाहिए?

श्री-श्री रविशंकर जी का जवाब

श्री-श्री रविशंकर जी ने सवाल का जवाब मुस्कुराते हुए दिया। उन्होंने कहा,' प्यार तो सबसे होना चाहिए, पर संबंध नहीं। सबको प्यार की नजर से देखो और उससे कुछ अपेक्षा ना करो। स्नेह रखो..प्यार के कई रंग होते हैं। सब संबंध ही ऐसा जरूरी नहीं है। स्नेह पूर्ण भाव आपके भीतर हो, वो सबके प्रति होनी चाहिए।

रिश्तों और भावनाओं की सच्चाई

श्री-श्री रविशंकर जी का मानना है कि भावनाएं मानव जीवन का स्वाभाविक हिस्सा हैं। लेकिन स्नेह के साथ भाव रखना चाहिए और किसी भी तरह के संबंध से बचना चाहिए।

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इंसान का मन स्थिर नहीं होता, कभी-कभी वह आकर्षण और मोह में फंस जाता है। शादी के बाद किसी और के प्रति लगाव या आकर्षण होना असामान्य नहीं है। लेकिन आकर्षण और सच्चे प्रेम में अंतर समझना जरूरी है। रविशंकर जी की ये बातें इसी तरफ इशारा करती है।

शादी का महत्व

शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि एक जीवनभर का वचन और जिम्मेदारी है। अगर शादी के बाद किसी और के प्रति भावनाएं जागृत हों, तो व्यक्ति को अपने अंदर झांकना चाहिए और यह समझना चाहिए कि यह क्षणिक आकर्षण है या गहरा रिश्ता निभाने की क्षमता।

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समाधान और बैलेंस

अपने जीवनसाथी के साथ संवाद बेहद जरूरी है।

ध्यान (Meditation) और साधना से मन को स्थिर किया जा सकता है।

रिश्तों में ईमानदारी और पारदर्शिता से गलतफहमियों से बचा जा सकता है।

अगर भावनाएं बहुत उलझन पैदा कर रही हों, तो किसी गुरु या काउंसलर की सलाह लेना मददगार होता है।

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