सार
16 साल बात एक मां को उसके अपील पर इच्छामृत्यु दी गई। अपने ही 5 बच्चों की गला रेतकर हत्या करने वाली महिला की कहानी जानकर पूरी दुनिया हिल गई थी। भले ही वो इस दुनिया से चली गई, लेकिन उसकी हैवानियत की कहानी इतिहास में दर्ज हो गया है।
रिलेशनशिप डेस्क. मां अपने बच्चों की खुशी, सुरक्षा के लिए क्या कुछ नहीं करती हैं। मां का दर्जा हर रिश्ते से ऊपर दिया गया है। लेकिन कुछ मां ऐसी होती है जो ममता को कलंकित करने का काम करती हैं। जेनेवीव लेमिर्ट (Genevieve Lhermitte) अब इस दुनिया में नहीं हैं, उसे इच्छामृत्यु दी गई है। लेकिन 16 साल पहले उसने जो हैवानियत की उसे जानकर हर कोई दहल गया था।
पांच बच्चों की गला रेतकर हत्या
बेल्जिम (belgium) के निवेल्स में रहने वाली 56 साल की जेनेवीव ने अपने बेटे और 3-14 साल की चार बेटियों की रसोई के चाकू से गला काट दिया। बच्चों के पिता की अनुपस्थिति में उसने इसे अंजाम दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि हत्या के दिन उसने सुपरमार्केट से दो चाकू चुरा लिए थे। इस हमले में यासमीन (14), नोरा (12), मिरियम (10), मीना (सात) और मेहदी (तीन) की मौत हो गई थी। घटना 2007 की है।
मनोरोगी थी महिला
बच्चों की हत्या करने के बाद जेनेवीव ने खुद को मारने की कोशिश की। लेकिन वो सफल नहीं हो पाई। उसने आपातकाली सेवाओं पर कॉल करके अपना जुर्म कबूल कर लिया।2019 में मनोरोग अस्पताल में ले जाने से पहले, लेर्मिट को 2008 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। केस की सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट को कहा कि मैंने (अपने पति) को एक बेटा दिया और उसे मार डाला। मैंने अपनी गलती से सभी बच्चों को खो दिया। उनका कोई दोष नहीं था। मैं अपने आखिरी दिनों तक पीड़ित रहूंगी और यहीं मेरी सजा है।
बेल्जिमय में इच्छामृत्यु चुनने का अधिकार
16 साल बाद जेनेवीव को इच्छामृत्यु दे दी गई। उनके वकील निकोलस कोहेन ने पुष्टि की कि उनके मुवक्किल की 28 फरवरी 2023 को इच्छामृत्यु दी गई। बेल्जियम का कानून लोगों को इच्छामृत्यु चुनने की अनुमति देता है यदि उन्हें असहनीय मनोवैज्ञानिक पीड़ा पीड़ित होते हैं। जो इंसान इच्छामृत्यु मांग रहा होता है उसे देखा जाता है कि वो अपने निर्णय के प्रति जागरूक है या नहीं। वो तर्कपूर्ण तरीक से अपनी इच्छा व्यक्त करने में सक्षम होता है तो फिर उसे उसकी मौत दी जाती है।
अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल बेल्जियम में इच्छामृत्यु के माध्यम से 2,966 लोगों की मौत हुई, जो 2021 की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। कैंसर से पीड़ितों ने सबसे ज्यादा इच्छामृत्यु की मांग की।
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