सार

खुला विवाह, जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे के विवाहेतर संबंधों को स्वीकार करते हैं, नई पीढ़ी में एक चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन क्या यह आधुनिक रिश्तों का भविष्य है या फिर एक गलतफहमी?

ओपन मैरिज को हिंदी में खुला विवाह कह सकते हैं। लेकिन ओपन‌ मैरिज‌ कहने में जो अंग्रेजी वाली फीलिंग आती है, वो हिंदी में नहीं आती। क्योंकि ये संस्कृति आई ही अंग्रेजी देशों से है। अमेरिका वगैरह की ओपन‌ कल्चर‌ का असर है ये। भारत की नई पीढ़ी के बहुत से लोगों को ये ओपन‌ मैरिज‌ का कल्चर‌ पसंद आ रहा है। आखिर है क्या ये ओपन‌ मैरिज‌?

शादी का मतलब होता है दो दिलों का मिलन, ऐसा हम मानते हैं। इस रिश्ते में पति-पत्नी एक साथ रहते हैं। सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ निभाते हैं। खुला विवाह इसी के बीच का एक ट्रेंड है। ये नई पीढ़ी में बढ़ रहा है। इसका मतलब सिंपल है। पति और पत्नी दोनों शादीशुदा होते हुए भी एक-दूसरे के विवाहेतर संबंध को स्वीकार करते हैं। 

यानी शादी के बाद भी उनमें से कोई एक या दोनों अगर शादी के बाहर किसी और के साथ प्रेम संबंध में हैं, तो वो ठीक है। उसे दांपत्य द्रोह नहीं माना जाएगा। यानी पत्नी का बॉयफ्रेंड हो सकता है। पति की गर्लफ्रेंड हो सकती है। 

खुले विवाह में आपसी समझ होती है। दोनों में से कोई भी दूसरे के संबंध पर एतराज नहीं करता। पति से न मिलने वाली संगति या सुख पत्नी किसी और में ढूंढ सकती है। पत्नी से न मिलने वाला प्यार या आनंद पति किसी और सहेली में तलाश सकता है। ऐसा नहीं है कि दोनों का रिश्ता टूट जाता है। वो तो वैसे ही चलता रहता है। 

खुले विवाह में ईमानदारी ज़रूरी है। कुछ लोग मानते हैं कि खुला विवाह उन्हें आज़ादी देता है। ये दिखाता है कि आप अपने साथी से झूठ नहीं बोल रहे हैं, धोखा नहीं दे रहे हैं। रिश्ता अलग है, विश्वास अलग है। शारीरिक संबंध के बिना भी पति-पत्नी के बीच विश्वास हो सकता है। ऐसा नहीं है कि शादी के बाहर के रिश्ते में शारीरिक संबंध होना ही चाहिए। हो तो कोई बुराई नहीं। ओपन‌ मैरिज‌ में जोड़ी बिना किसी बंदिश के अपनी शारीरिक या मानसिक इच्छाओं को पूरा कर सकती है। 

 

लेकिन कुछ नुकसान भी हैं इसके। वैवाहिक जीवन के बीच अगर ओपन‌ मैरिज‌ आता है, तो उनमें से एक को दूसरे से जलन हो सकती है। यानी एक को कोई और पार्टनर मिल जाए और दूसरे को न मिले, तो उसे जलन हो सकती है। या फिर असुरक्षा की भावना आ सकती है। इतना ही नहीं, इससे कपल का विश्वास भी टूट सकता है और उनके बीच दूरियां बढ़ सकती हैं। एक और समस्या है यौन रोग या संक्रमण की। ओपन‌ होने से ये खतरा बढ़ जाता है। 

इस रिश्ते में साथी की भावनाओं को समझना ज़रूरी है। अगर दोनों ही इस तरह का रिश्ता निभाने के लिए तैयार हैं, तभी इस बारे में कोई फैसला लेना चाहिए। साथ ही दोनों को इसके लिए सामाजिक दबाव का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।