Premanand Ji Maharaj On Relationship: प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि अगर आप आत्म स्वाभिमान को देखेंगी, तो रिश्ता टूट जाएगा। इसलिए अपने स्वाभिमान को परे रखकर रिश्ता बचाना चाहिए। 

Premanand Ji Maharaj: कई बार घर-परिवार में ऐसे हालात बन जाते हैं, जब सामने दो ही रास्ते बचते हैं, या तो रिश्ते को टूटने से बचाया जाए, या फिर अपनी सेल्फ-रिस्पेक्ट को प्राथमिकता दी जाए। दोनों ही स्थितियों में इंसान कुछ न कुछ खो देता है, जिसकी कसक जीवनभर बनी रहती है। ऊपर से समाज की बातें अलग परेशान करती हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल होता है-इस दुविधा से आखिर निकला कैसे जाए? इसी तरह की उलझन को लेकर एक महिला ने प्रेमानंद जी महाराज से सवाल किया। उनका दिया गया जवाब न सिर्फ समझदारी भरा था, बल्कि जीवन का सही रास्ता भी दिखाता है। चलिए जानते हैं, वृंदावन के महाराज जी ने क्या सलाह दी।

प्रश्न-रिश्ते को बचाएं या फिर आत्मसम्मान देखें?

जवाब-प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि रिश्तों का पोषण कई बार अपने मान-अभिमान को त्यागकर ही किया जाता है। यदि हम हर समय अपने सम्मान की ही बात रखते रहें, तो रिश्तों में खटास आना स्वाभाविक है। उन्होंने समझाया कि जिस “आत्मसम्मान” की हम बात करते हैं, वह वास्तव में देह-अभिमान होता है। शास्त्रों में देह-अभिमान को त्यागने और विनम्रता अपनाने की ही आज्ञा दी गई है।

महाराज जी ने तुलसीदास जी का दोहा “सबहि मानप्रद, आपु अमानी” उद्धृत करते हुए कहा कि जब आप बिना मान की इच्छा रखे सबका मान करेंगे, तो आपकी आत्मा स्वतः ही उज्ज्वल हो जाएगी। ऐसे रिश्तों में भगवान भी विराजमान होते हैं। यदि आप अपने मान को लेकर अड़े रहेंगे, तो रिश्ते कमजोर होंगे, मन जलता रहेगा और असंतोष बढ़ेगा- यह न तो सिद्धांत से ठीक है और न ही जीवन के लिए।

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वास्तविक आत्मसम्मान वही है, जब कोई आपके साथ कटु व्यवहार करे और आप फिर भी प्रेम और धैर्य से पेश आएं। भगवान सब देख रहे हैं। जिसे भगवान प्रेम करते हैं, संसार भी उसी से प्रेम करता है।

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कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज? 

प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के प्रसिद्ध संत और आध्यात्मिक गुरु हैं, जो अपने सहज, सरल और जीवन बदल देने वाले प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं। वे राधा नाम जप, भक्ति मार्ग और अनुशासित दिनचर्या का महत्व बताते हैं, जिससे लाखों लोगों का जीवन बदल चुका है। अपने विनम्र स्वभाव और गहरे आध्यात्मिक ज्ञान की वजह से वे आज युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।

प्रेमानंद जी महाराज ने कितनी उम्र में घर छोड़ दिया था?

प्रेमानंद जी महाराज 13 साल की उम्र में घर छोड़ दिए थे। एक रात जब घर में सो रहे थे, तो वो उठे और माता-पिता, भाई-बहनों को प्रणाम करके एक चटाई, गीता और लोटा लेकर घर से निकल गए थे। 

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