सार
मर्दों को अक्सर इमोशनली मजबूत और निडर होने की उम्मीद लगाई जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे भी लिंगभेद का शिकार होते हैं?
रिलेशनशिप डेस्क. सेक्सिज्म एक गलत प्रथा है जो किसी व्यक्ति के लिंग या लिंग के आधार पर भेदभाव से पैदा होती है। मानो या न मानों महिलाओं की तरह पुरुष भी लिंगभेद के शिकार हैं। महिलाओं के लिए सेक्सिज्म खुलेआम है और वो लगातार इसके खिलाफ लड़ रही हैं। हालांकि पुरुषों के लिए यह समझना अभी भी मुश्किल है कि उनपर हो रहे कमेंट इसी सेक्सिज्म के परिचायक हैं। यहां पुरुषों के सामने आने वाली 9 आम सेक्सिस्ट धारणाओं और चुनौतियों का जिक्र किया गया है।
मर्द को दर्द नहीं होता
पुरुषों को हमेशा इमोशनल रूप से मजबूत रहने की अपेक्षा की जाती है। उन्हें अपने दर्द और इमोशन को छुपाने के लिए यह कहकर मजबूर किया जाता है कि लड़कियों की तरह क्यों रो रहे हो। आदमी बनों।
पिंक शर्ट, क्या तुम गे हो
लड़के जब पिंक शर्ट पहनते हैं तो लोगों की धारणा उनको लेकर बदल जाती है। कई बार उन्हें गे तक कह दिया जाता है। कई मर्द को पिंक कलर पसंद होते हुए भी बस इस डर से कि उनपर कहीं कमेंट ना कोई कर दें इसलिए वो पिंक ड्रेस से दूर रहते हैं।
मर्द को डर नहीं लगता, लड़की बनना बंद कर दो
अगर किसी लड़के को मकड़ी ,छिपकली या फिर कॉकरोच से डर लगता है तो ये भी उनपर सेक्सिएस्ट कमेंट करने की वजह बन जाती है। उन्हें इन छोटे जीव से डरने के लिए मजाक उड़ाया जाता है। कहा जाता है लड़की बनना बंद कर दो। ये समझ में नहीं आता है कि ये कौन तय करता है कि ऐसी छोटे-छोटे जीव से डरना लड़कियों वाली बात है।
घर की जिम्मेदारी उठाना सिर्फ पुरुष का काम है
समाज अक्सर पुरुषों पर आर्थिक जिम्मेदारी डालता है जिससे वे तनाव और दबाव का सामना करते हैं। अगर जीवनसाथी कमा रही होती है तो फिर गलत कमेंट उनपर किया जाता है। ये तो बीवी की कमाई खाता है जैसे ताने मिलते हैं सुनने को।
तुम यार लड़की की तरह गाड़ी चलाते हो
कई बार अगर ड्राइविंग के दौरान दोस्त ही कह देते हैं कि यार तुम लड़की की तरह गाड़ी चलाते हो। यानी की तुम्हें गाड़ी चलानी नहीं आती है। ये भी पता नहीं क्यों लोगों का मानना है कि लड़की को गाड़ी चलानी नहीं आती है।
पुरुष को हमेशा पहल करनी चाहिए
रिश्तों में पहल करने या डेटिंग में खर्च उठाने की जिम्मेदारी हमेशा पुरुषों पर डाल दी जाती है। यहां पर बिस्तर पर भी पुरुष को अपना पुरुषत्व दिखाने को कहा जाता है।
समाज को समझना होगा कि सेक्सिज़्म सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी बाधा बनता है। एक समान और न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए जरूरी है कि सभी को उनकी भावनाओं, इच्छाओं और जरूरतों के आधार पर समानता मिले।
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