सार
कोरोना वायरस के फैलने के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। हालांकि, बच्चों के स्कूल काफी पहले ही बंद हो गए थे और उनकी परीक्षाएं भी स्थगित हो गई थीं। इस दौरान घर में ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना जरूरी है।
लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस के फैलने के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। हालांकि, बच्चों के स्कूल काफी पहले ही बंद हो गए थे और उनकी परीक्षाएं भी स्थगित हो गई थीं। घरों में रहने वाले बच्चे पढ़ाई-लिखाई पर खुद से ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते। उनका काफी समय बेकार बीत जाता है या वे टीवी देखने या कम्प्यूटर पर गेम खेलने में समय बिता देते हैं। लॉकडाउन में घर में बंद रहने से बहुत बच्चे डिप्रेशन के शिकार भी हो रहे हैं। लॉकडाउन अभी लंबा चल सकता है। स्कूल भी अभी काफी समय तक बंद रह सकते हैं। इस दौरान घर में ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर वे पढ़ाई में पीछे पड़ जा सकते हैं। जानें कुछ टिप्स।
1. पढ़ाई के लिए तय करें समय
बच्चों को कहें कि वे रोज पढ़ाई के लिए एक समय तय कर लें। जैसे स्कूल में हर विषय की पढ़ाई के लिए क्लास लगती है, उसी तरह से वे घर पर भी पढ़ाई कर सकते हैं। बीच में ब्रेक भी लें। पढ़ाई के लिए रूटीन बनाने में आप उनकी मदद कर सकते हैं। सुबह, दोपहर और रात के समय कुछ घंटे पढ़ाई के लिए तय करें। इससे उनकी पढ़ने की आदत बनी रहेगी और वे अपने कोर्स को पूरा कर सकेंगे।
2. पढ़ाई के लिए खास जगह का होना जरूरी
बच्चों की पढ़ाई के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, जहां उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। जब बच्चे पढ़ रहे हों, परिवार के लोग उनके पास बिना किसी काम के नहीं जाएं। इससे उनका ध्यान भटकेगा। उनकी टेबल-कुर्सी साफ-सुथरी होनी चाहिए। बच्चों को कहें कि वे खुद इसका ख्याल रखें। इससे उनमें जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी।
3. कठिन विषयों पर दें ध्यान
सिलेबस में कुछ विषय बच्चों को आसान लगते हैं तो कुछ कठिन। उनसे कहें कि जो विषय उन्हें जल्दी समझ में नहीं आते, उन पर पहले ध्यान दें। अक्सर बच्चे नहीं समझ में आने विषय को छोड़ देते हैं, जिससे आगे चल कर उन्हें परेशानी होती है। पढ़ाई के दौरान संभव हो तो आप उनकी मदद कर सकते हैं।
4. लेसन दोहराएं
कई बार बच्चे पढ़ी चीजों को नहीं दोहराने से उन्हें भूल भी जाते हैं। लॉकडाउन के खाली वक्त का उपयोग वे लेसन को दोहराने में भी कर सकते हैं। ऐसा करने के लिए आप उन्हें सलाह दे सकते हैं। उनसे सवाल पूछ सकते हैं। लेकिन जो भी पूछें, दोस्ताना अंदाज में पूछें। अगर आप टीचर की तरह उनके साथ पेश आने लगेंगे तो वे आपसे कटने भी लग सकते हैं।
5. क्रिएटिव कामों पर दें जोर
पढ़ाई का मतलब सिर्फ सिलेबस को ही पूरा करना नहीं है। इसके साथ ही उन्हें क्रिएटिव कामों को करने के लिए भी प्रेरित करें। अगर किसी बच्चे की पेंटिंग में रुचि है, तो उसे चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करें। किसी की म्यूजिक या हैंडिक्राफ्ट में रुचि है, तो उसे भी बढ़ावा दें। इससे बच्चे खुश रहेंगे। उनका समय भी ठीक से बीतेगा और स्कूल खुलने पर वे बेहतर परफॉर्म कर सकेंगे।