सार

बचपन में जो आदत लग जाती है, वह जल्दी नहीं जाती। इसलिए बच्चों को शुरू से ही ऐसी बातें सिखानी चाहिए, जो आगे चल कर उनके काम आ सके। पैसों की बचत करना ऐसी ही आदत है। इसके बारे में बच्चों को शुरू से ही बताना चाहिए। 
 

लाइफस्टाइल डेस्क। बचपन में जो आदत लग जाती है, वह जल्दी नहीं जाती। इसलिए बच्चों को शुरू से ही ऐसी बातें सिखानी चाहिए, जो आगे चल कर उनके काम आ सके। पैसों की बचत करना ऐसी ही आदत है। इसके बारे में बच्चों को शुरू से ही बताना चाहिए। बच्चों को कोई बात सिखाना मुश्किल नहीं होता। वे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। अगर एक बार आपने उनके मन में यह बात बैठा दी कि पैसे की बर्बादी नहीं करनी चाहिए और आने वाले समय के लिए पैसे की बचत करना जरूरी है, तो वे इसे जीवन भर नहीं भूलेंगे। यह सीख उनके काफी काम आएगी। बच्चों को पढ़ाने-लिखाने के साथ उन्हें व्यावहारिक ज्ञान देना भी जरूरी है। 

1. फिजूलखर्ची से दूर रखें
अपने बच्चों से हर कोई बेहद प्यार करता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनकी हर जिद पूरी करें। बच्चों में उतनी समझदारी नहीं होती, ना ही भले-बुरे का पूरा ज्ञान होता है। ऐसे में, उनकी हर मांग को पूरा करने की जरूरत नहीं है। उन्हें बताएं कि फिजूलखर्ची से नुकसान होता है। जरूरत की चीजों पर ही खर्च करें।

2. खुद को उदाहरण के तौर पर पेश करें
बच्चे अपने मां-बाप की नकल करते हैं। वे सबसे पहले उनसे ही सीखते हैं। इसलिए आप खुद भी फिजूलखर्ची नहीं करें। अगर आप दिखावे की चीजों पर खर्च करने से बचेंगे, तो बच्चा आपसे यह बात सीखेगा। बच्चे देख कर सीखते हैं। उपदेश देने का उन पर कोई खास असर नहीं पड़ता। 

3. गुल्लक लाकर दें
अपने बच्चों के लिए गुल्लक लाकर दें। इससे बच्चों में बचत करने की आदत पड़ती है। बच्चों को जो जेबखर्च मिलता है या कभी किसी मौके पर कोई उन्हें उपहार के तौर पर पैसा देता है, तो बच्चे उसे गुल्लक में जमा कर सकते हैं। छोटे बच्चों को यह एक खेल की तरह लगता है। गुल्लक में पैसे जमा कर बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं।

4. बैंक में अकाउंट खुलवाएं
बैंक और पोस्ट ऑफिस में बच्चों के नाम अकाउंट खोलने की सुविधा है। अगर आप बच्चों के नाम सेविंग्स अकाउंट खोलते हैं, तो इससे उनमें बचत की आदत पड़ेगी। उन्हें बचत करने की अहमियत का भी पता चलेगा। अपने खाते में जमा करने के लिए बच्चे पैसे बचाने लगेंगे। 

5. जरूरत की चीजों के बारे में बताएं
बचत करने की आदत डलवाने का मतलब यह नहीं है कि आप बच्चों को कंजूस बनाने की कोशिश करें। कंजूसी को कभी भी अच्छा नहीं माना गया है। एक कंजूस व्यक्ति के लिए पैसा ही सब कुछ होता है। वह जरूरत की चीजों पर भी खर्च करना नहीं चाहता। आप बच्चों को जरूरत के लिए खर्च करने और पैसा बर्बाद करने में फर्क को बताएं। इसके लिए जो बच्चे कुछ बड़े हैं, उन्हें खरीददारी करने के लिए बाजार भेजें। इससे उनका अनुभव बढ़ता है।