सार
अनिता शर्मा भोपाल में जीवन विहार सोसायटी के फ्लैट नंबर 611 में रहती थी। उसके पिता मुंबई की एक निजी कंपनी में लाइजनिंग ऑफिसर थे। वो आरकेडीएफ कॉलेज में बी-फार्मा सेकेंड ईयर की छात्रा थी। 6 अगस्त 2013 की रात में अपने घर में फांसी लगा ली थी।
भोपाल (Madhya Pradesh) । जिला कोर्ट ने आठ साल पुराने रैगिंग और खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। आरकेडीएफ कॉलेज की 4 छात्राओं को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। साथ ही इनपर दो-दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि साल 2013 में भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेज में रैगिंग से तंग आकर अनिता शर्मा नाम की स्टूडेंट ने खुदकुशी कर ली थी। जिसके कमरे से मिले सुसाइड नोट पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपियों को सजा दिलाई है। ऐसे में हम आपको उस सुसाइड नोट के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
यह है पूरा मामला
अनिता शर्मा भोपाल में जीवन विहार सोसायटी के फ्लैट नंबर 611 में रहती थी। उसके पिता मुंबई की एक निजी कंपनी में लाइजनिंग ऑफिसर थे। वो आरकेडीएफ कॉलेज में बी-फार्मा सेकेंड ईयर की छात्रा थी। 6 अगस्त 2013 की रात में अपने घर में फांसी लगा ली थी।
सुसाइड नोट में लड़कियों के नाम लिखकर कहा था चारों बहुत गंदी हैं
पुलिस को उसके कमरे से सुसाइड नोट मिला था। जिसमें लिखा था, मैं अनीता शर्मा बी-फार्मा सेकंड ईयर की छात्रा हूं। जब से मैं कॉलेज आई, तभी से मेरे साथ रैगिंग हो रही है। ये चारों लड़कियां (निधि, दीप्ति, कीर्ति और देवांशी) बहुत गंदी हैं। मैंने इन्हें एक साल तक कैसे झेला, ये मैं ही जानती हूं। मुझसे इन्होंने मिड सेम की कॉपी तक लिखवाई थी। शिकायत करने पर मनीष सर ने मुझे कहा कि कॉलेज में रहने के लिए सीनियर्स की बात माननी पड़ती है।’
भाई और पापा को लेकर लिखी थी भावुक करने वाली ये बातें
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिता ने सुसाइड नोट में परिवार के लिए लिखा था, ‘मॉम एंड डैड आई लव यू। आप मुझे मिस मत करना। ब्रदर सबसे ज्यादा तू रोने वाला है, क्योंकि तेरी बेस्ट फ्रेंड जा रही है। मैं न गंदी बन सकती हूं, न स्ट्रॉन्ग। मुझे पिंक सूट पहना कर जलाना। पापा मैं जानती हूं कि मैं आपकी फेवरेट रही हूं। चाहती थी कि पढ़ लिखकर खूब पैसा कमाऊं और एक बड़ा घर बनवाऊं।
कोर्ट ने फैसले में कही ये बातें
बताते चले कि इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि 'बढ़ती हुई रैगिंग की घटनाओं को देखते हुए सजा इतनी होनी चाहिए कि दूसरे लोगों को ऐसा करने से पहले उसका नतीजा सोचकर डर लगे। आगे से भविष्य के सपने लेकर कॉलेज में एडमिशन लेने वाले किसी स्टूडेंट को सुसाइड करने के लिये मजबूर न होना पड़े।