सार
केंद्रीय सूचना आयुक्त (Information Commissioner) ने कहा कि अगर उन्हें भारत रत्न मिलता है, तो अच्छी बात है। लेकिन अगर उन्हें यह सम्मान नहीं भी मिलता है, तो भी इससे उनके कद पर कोई फर्क नहीं पडे़गा।
इंदौर। केंद्रीय सूचना आयुक्त (Central Information Commissioner) उदय माहूरकर ने कहा देश में सावरकर युग आ चुका है। यदि उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान Bharat ratna नहीं भी मिलता है, तो भी उनके कद को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।इंदौर साहित्य महोत्सव (indore literature festival)में शामिल होने आए माहूरकर ने कहा- मैं मानता हूं कि सावरकर (की शख्सियत) भारत रत्न से ऊपर है। अगर उन्हें यह सम्मान मिलता है, तो अच्छी बात है। लेकिन अगर उन्हें यह सम्मान नहीं भी मिलता है, तो भी इससे उनके कद पर कोई फर्क नहीं पडे़गा, क्योंकि देश में सावरकर युग का आगमन हो चुका है।
हम पहले नहीं सोचते थे कि अनुच्छेद 370 हटेगा
वीर सावरकर : द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन पुस्तक के लेखक माहूरकर ने कहा- पहले हम सोच तक नहीं पाते थे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 कभी हट भी सकता है। लेकिन इस अनुच्छेद को हटा दिया गया। यह कदम देश में सावरकर युग के आगमन का प्रतीक है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि राज्य की सत्ता में आने पर वह भारत रत्न के लिए सावरकर के नाम की सिफारिश पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार से करेगी। इसके अलावा, अलग-अलग दक्षिणपंथी संगठन भी सावरकर को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे जाने की मांग पिछले कई साल से कर रहे हैं। माहूरकर ने सावरकर को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का पितामह बताया और दावा किया कि हिंदुत्व के इस विचारक ने गुलाम भारत में कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की कथित नीति और मुस्लिम लीग की हरकतों को देखकर देश के विभाजन के खतरे को काफी पहले ही भांप लिया था। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने कहा-भारत का विभाजन राष्ट्रीय सुरक्षा का ही मामला था।
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