सार
मध्य प्रदेश के रतलाम में एक ऐसा मां लक्ष्मी का मंदिर है। जिसे दीपावली पर फूलों से नहीं, बल्कि करोड़ों रुपए के नोटों और गहनों से सजाया जाता है। वहीं भक्तों को प्रसाद के रूप में नोट और गहने मिलते हैं।
रतलाम (मध्य प्रदेश). दीपावली (Diwali 2022) का पर्व 24 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जा रहा है। देश ही नहीं विदेश में भी इस दिन भारतीय दिए जलाकर दीपावली का पावन पर्व मनाते हैं। धन-संपदा के लिए मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसी बीच मध्य प्रदेश के रतलाम में महालक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर है जहां, दिवाली के दिन फूलों से नहीं, बल्कि नोटों और सोने चांदी से सजाया गया है। धनतेरस से लेकर दिवाली तक विशेष पूजा की जाती है। सोने-चांदी से लेकर हीरा-जवाहरत की मुद्राएं भी मां के चरणों में भेंट की जाती हैं।
करोड़ों के नोटों से सजता है मां लक्ष्मी का मंदिर
रतलाम में बने इस मंदिर में मां लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की मूर्तियां विराजमान हैं। धनतेरस से लेकर दिवाली तक रोजाना सुबह शाम लक्ष्मी जी, गणेश जी और सरस्वती जी की विशेष पूजा होती है। मंदिर के पुजारी संजय अमर लाल ने बताया कि यह राजा महाराजाओं की कुलदेवी हैं। सालों से मंदिर को नोटों से सजाने की परंपरा चली आ रही है। इस महालक्ष्मी मंदिर को हजार दो हजार, लाख नहीं बल्कि, करोड़ों के नोटों से सजाया जाता है। साथ ही मंदिर में जो भी भक्त आते हैं वह प्रसाद के रूप में नोट को ही चढ़ाते हैं।
चप्पे-चप्पे पर तैनात होती है पुलिस, दूर से दिखता है नोटों का अंबार
बता दें कि धनतेरस और दिवाली के दिन लाखों की संख्या में दूर दूर से भक्त देवी मां के दर्शन करने के लिए आते हैं। सभी मां लक्ष्मी की पूजा और दर्शन बाहर से ही करते हैं। जब तक पूजा नहीं हो जाती गर्भगृह में पुजारी के अलावा किसी को अंदर जाने की परमिशन नहीं होती है। इतना ही नहीं चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं। यहां नोटों का अंबार इस तरह होता है कि दूसरे से दिखाई देता है। वहीं जिला प्रशासन की तरफ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। मंदिर के चारों और पुलिसकर्मी पहरा देते हैं।
'मां के चरणों में चढ़या पैसा हो जाता है डबल'
मंदिर समीति का कहना है कि इस मंदिर में जो भी वक्त दर्शन करने के लिए आता है उसे प्रसाद के रूप में नोट मिलते हैं। वहीं पुजारी संजय अमर लाला का कहना है कि जो भी भक्त यहां मां लक्ष्मी के चरणों में नोट और गहने चढ़ाते हैं उनकी बाकाएदा एक लिस्ट बनती है। उनके गहनों पर एक नाम की पर्ची लगाई जाती है। दीवाली के त्योहार के बाद जिसने जो चढ़ाया वह उन्हें लौटा दिया जाता है। कहा जाता है कि जो यहां जितनी धन-संपता मां को भेंट करता है, उसे एक साल के अंदर मां अपने आशीर्वाद से कई गुना कर देती हैं।