सार

 जयपुर में 70 साल में पहली बार होगा जब दशहरे पर रावण का दहन नहीं होगा। वहीं चंडीगढ़ में हर साल  200 फीट ऊंचे रावण बनाकर बड़े उत्साह से उसका दहन किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सभी दशहरा मैदान सूने दिखाई देंगे।

भोपाल. इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे ने त्योहारों पर इंसानों को घरों में कैद कर दिया। महामारी का असर इस बार दशहरा उत्सव पर भी देखने को मिलेगा। कई राज्यों के दशहरा मैदान पर रावण दहन तो होगा लेकिन छोटे-मोटे पुतले होंगे या फिर कहीं होंगे भी नहीं।  तो कहीं आतिशबाजी नहीं होगी। वहीं राजस्थान, चंडीगढ़ में कोई सार्वजनकि समारोह नहीं होगा। किसी शहर में रावण का कद छोटा मिलेगा तो कहीं मेघनाद और कुंभकरण नहीं होंगे।

दरअसल, भोपाल में करीब 129 साल का रिकॉर्ड टूटने जा रहा है। पुराने शहर के छोला मंदिर में रावण दहन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जहां रावण की लंबाई 60 फीट होती है। लेकिन इस बार कोरोना के कहर के चलते यहां सिर्फ  35 फीट ऊंचा रावण बनाया जा रहा है। इस बार यहां ना तो कोई जुलूस होगा और ना ही कोई समारोह। इतना ही नहीं शहर के कई दशहरा मैदानों में भी यही हाल है। जहां कोलार में शहर का सबसे ऊंचा 105 फीट का रावण जलता था, लेकिन इसकी लंबाई 12 होगी।

इंदौर में 100 फीट की जगह 10 फीट का रावण
वहीं इंदौर में भी करीब 10 से 12 जगह पर बड़े स्तर पर दशहरा मनाया जाता है। जहां पर रावण की लंबाई 100 फीट से ज्यादा होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। चिमनबाग में जहां 51 फीट का रावण होता था, वहां पर अब 10 फीट का पुतला होगा।

जयपुर में 70 साल का रिकॉर्ड टूटा
राजस्थान में भी बड़े ही धूमधाम से दशहरा का पर्व मनाया जाता है।  खासतौर से पिंक सिटी जयपुर का तो इस दिन का नजारा अलग ही होता है। लेकिन इस बार यहां ऐसा कुछ नहीं होगा। बता दें कि जयपुर में 70 साल में पहली बार होगा जब दशहरे पर रावण का दहन नहीं होगा। पिछली साल विद्याधर नगर स्टेडियम में 121 फीट का रावण का जलाया गया था। जिसको देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ पहुंची थी। लेकिन इस बार सरकार ने यहां धारा 144 लागू कर रखी है, जिसके चलते भीड़ नहीं होगी। 

200 फीट रावण की जगह 2 फीट का रावण तक नहीं
बता दें कि चंडीगढ़ में हर साल  200 फीट ऊंचे रावण बनाकर बड़े उत्साह से उसका दहन किया जाता है। जिसको बनाने में कई महीनों लग जाया करते थे। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सभी दशहरा मैदान सूने दिखाई देंगे। बराड़ा, अंबाड़ा जैसी बड़ी समीतियों ने खुद ही आगे आकर दशहर पर सभी कार्यक्रमों को करने से इंकार कर दिया है।

रांची में 72 सालों का रिकॉर्ड टूट जाएगा
झारखंड की राजधानी रांची में इस बार कोरोना के कहर के चलते 72 सालों का रिकॉर्ड टूट जाएगा। बता दें कि यहां साल 1948 में पहली बार पाकिस्तान से आए रिफ्यूजी कैंप के पंजाबी परिवारों ने यहां पर रावण को जलाने का कार्यक्रम रखा था। लेकिन सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सभी संस्थाओं ने आगे आकर पंजाबी-हिंदू बिरादरी ने रावण दहन नहीं करने का फैसला किया है। जहां मुंबई और दिल्ली से बड़े-बड़े कारीगिरों को बुलाया जाता था। इतना ही नहीं रावण की आतिशबाजी पर लाखों रुपए खर्च होता था जिसका काम दो महीने पहले ही शुरू हो जाता था।

सोशल मीडिया पर होगा रावण दहन
कोरोना के कहर से भगवान राम की आयोध्या भी नहीं बच पाई है, यहां भी इस बार कोई बड़ा समारोह नहीं होगा। इतना ही नहीं लखनूऊ के ऐशबाग तो 71 फीट का रावण का पुतला तैयार किया गया है। जिसका दहन सोशल मीडिया के जरिए किया जाएगा। यानि मैदान में भीड़ नहीं पहुंचेगी। सरकार के नियम के अनुसार यहां सिर्फ 200 लोग ही पहुंच सकेंगे।

रायपुर में होगा सिर्फ 10 फीट का रावण
वहीं छत्तसीगढ़ की राजधानी रायपुर में भी दशहरा का हाल बाकी शहरों की तरह ही है। जहां रावण दहन तो होगा, लेकिन रावण की लंबाई 10 से 12 फीट होगी और कोई आतिशबाजी नहीं होगी। रायपुर के रावण भाटा में होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल होंगे। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान 50 से ज्यादा लोग शामिल नहीं हो सकते हैं।