सार
इस बच्चे का नाम शिवराज यादव है जो खंडवा जिले के बोराड़ीमाल के रहने वाले किसान देवराम यादव का बेटा है। 12 साल का मासूम शिवराज कक्षा 5वीं में किड्स पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। वह अपने स्कूल रोज घोड़े पर बैठकर जाता है।
भोपाल. अक्सर छोटे बच्चे स्कूल जाने के लिए माता-पिता से साइकिल दिलाने की जिद करते हैं। तो कुछ बच्चे बस या पैदल ही स्कूल जाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश का एक ऐसा छात्र है जो घोड़े पर बैठकर रोज डेढ़ किलोमीटर दूर स्कूल जाता है। जहां से वह निकलता है लोग उसे देखने के लिए खड़े हो जाते हैं।
जहां से यह बच्चा निकलता लोग देखते रह जाते
दरअसल, इस बच्चे का नाम शिवराज यादव है जो खंडवा जिले के बोराड़ीमाल के रहने वाले किसान देवराम यादव का बेटा है। 12 साल का मासूम शिवराज कक्षा 5वीं में किड्स पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। वह अपने स्कूल रोज घोड़े पर बैठकर जाता है। उसके घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर राजपुरा-कालमुखी के पास यह स्कूल है।
एक्सीडेंट से डर लगता है, इसिलए घोड़ा बना विकल्प
किसान देवराम ने बताया कि मेरे बेटे शिवराज को गाड़ी पर बैठने में डर लगता है। उसे यह भय लगा रहता है कि कहीं उसका एक्सीडेंट नहीं हो जाए। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद से स्कूल बसें बंद हैं। क्लासें चालू हुईं तो बेटे को जाने के लिए साधन नहीं था। ऐसे में हमें चिंता होने लगी कि अगर शिवराज गाड़ी पर नहीं बैठेगा तो उसके भविष्य का क्या होगा। इसलिए हमने घोड़ी का इंतजाम कर लिया।
छात्र और घोड़े में दोस्ती..एक दूसरे को करते हैं मिस
पिता ने बताया कि इस घोड़े को मैने तब खरीदा था तब यह घोड़ा तीन महीने का था। जिसके लिए मैंने एक हजार रुपए कीमत चुकाई थी। बेटा शिवराज और घोड़ा दोनों दोस्त बन गए। जब कभी घोड़ा बेटे को देखता है तो वह आवाज करने लगता है। मानो कि वह उसे बुला रहा हो। यह 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ता है।