सार
भारतीय सेना के जवान विजय बहादुर सिंह 17 साल सेना में सेवा करने के बाद अपने गांव लौटे तो ग्रामीणों ने उनके स्वागत में जगह-जगह फूल लगा दिए। जमीन में अपनी हथेलियां रखकर फौजी के पांव को उनपर रखवाए।
नीमच (मध्य प्रदेश). भारतीय सेना के जवान अपने प्राणों को संकट में डालकर देश की बॉर्डर पर तैनात होकर रक्षा करते हैं। वीर सैनिकों के सम्मान में देश के हर शख्स का सिर झुकता है, क्योंकि सेना हिंदुस्तानी की जान है और हर कोई इससे प्यार करता है। कुछ ऐसा ही दिल खुश कर देने वाला नजारा मध्य प्रदेश के नीमच में देखने को मिला, जहां एक फौजी जब रिटायरमेंट लेकर वापस आया तो गांव के लोगों ने उसके स्वागत में अपनी हथेलियां बिछा दीं।
अपनी हथेलियों पर फौजी के पैर रख किया स्वागत
दरअसल, भारतीय सेना के जवान विजय बहादुर सिंह 17 साल सेना में सेवा करने के बाद अपने गांव जीरन तीन फरवरी को लौटे थे। जैसे ही गांव के लोगों को पता चला कि उनके गांव की शान सैनिक रिटायर होकर आने वाले हैं तो ग्रामीणों ने उनके स्वागत में जगह-जगह फूल लगा दिए। साथ ही हर कोई अपने घर से निकलकर उनकी अगवानी में लग गया। सबसे पहले गांव के लोगों ने जमीन में अपनी हथेलियां रखकर फौजी के पांव को उनपर रखवाए। यहां से वह सैनिक को अपने गांव के प्रचाीन मंदिर लेकर पहुंचे। जहां गणेश भगवान के दर्शन कराए।
फौजी ने कहा- स्वर्ग से भी अच्छा होता है अपना गांव
यह अनोखा नाजार देख फौजी विजय बहादुर भावुक हो गए। कहने लगे कि अपना गांव स्वर्ग से भी अच्छा होता है। सचमुच मुझे आज लगा कि सेना और सैनिकों का सम्मान लोग कितना करते हैं। मैंने अपनी 17 साल की नौकरी में कई जगह सेवाएं दी हैं। लेकिन जो सम्मान और प्यार यहां गांव के लोगों ने दिया उसे में कभी नहीं भूल पाऊंगा। अब मेरा एक ही लक्षय है कि आसपास के गांव के लोगों को सेना में जाने की ट्रेनिंग देना। उनको फौज में जाने के लिए तैयार करूंगा।
बेटे का सम्मान देख पिता की आंखों से आ गए आंसू
वहीं जब फौजी विजय के पिता लालसिंह ने जब अपने बेटे का इतना भव्य स्वागात और सम्मान देखा तो वह भावुक हो गए। कहने लगे कि आज मेरा सीना चौड़ा हो गया है, में चाहता हूं गांव का हर बेटा सेना में जाए और हर पिता को ऐसा ही गर्व हो। बता दें कि सैनिक विजय बहादुर ने अपनी 17 साल की नौकरी के दौरान कारगिल, सियाचिन ग्लेशियर, बटालिक, जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, जयपुर व शिमला में अपने सेवा देते हुए दुश्मनों का सामना किया है।