सार

यहां तो बेटियों को बचाने की मुहीम इस कदर चलाई जा रही है जिसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। इस निजी अस्पताल में पैदा होने वाली बच्ची के जन्म पर डॉक्टर फीस नहीं लेते हैं।

पुणे(Maharashtra). देश में बेटी बचाओ मुहीम धीरे-धीरे ही सही मगर परवान चढ़ रही है। कुछ एक मामले तो ऐसे भी सामने आए जहां बेटियों को बचाने के लिए चलाई जा रही मुहीम एक मिसाल जैसी है। पुणे के इस अस्पताल को ही ले लीजिए, यहां तो बेटियों को बचाने की मुहीम इस कदर चलाई जा रही है जिसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। इस निजी अस्पताल में पैदा होने वाली बच्ची के जन्म पर डॉक्टर फीस नहीं लेते हैं। बल्कि पैदा हुई नवजात बच्ची का स्वागत बहुत ही गर्मजोशी के साथ किया जाता है।

महाराष्ट्र के हड़पसर इलाके स्थित इस अस्पताल के मालिक डॉक्टर गणेश राख हैं। प्रसूति-सह-मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल चलाने वाले डॉ गणेश राख अपनी बेटी बचाओ जन आंदोलन पहल के तहत कन्या भ्रूण हत्या और शिशु हत्या के खिलाफ जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। डॉक्टर राख के मुताबिक पिछले 11 साल में उन्होंने 2400 बच्चियों के जन्म पर उन्होंने कोई फीस नहीं ली है। 

इस वाकये से मिली प्रेरणा 
डॉ. गणेश राख के मुताबिक 2012 में उन्होंने अपने मेडिकेयर अस्पताल में यह पहल शुरू की थी, जो अब विभिन्न राज्यों और कुछ अफ्रीकी देशों में फैल गई है। डॉ. राख के मुताबिक अस्पताल के शुरुआती वर्षों में 2012 से पहले उन्हें ऐसे अनुभव मिले जिससे वह बेहद दुखी हुए। कुछ मामलों में लड़की के पैदा होने पर परिवार के सदस्य उसे देखने आने से कतराते दिखे। ऐसे मामलों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया इस घटना से उन्हें कन्या शिशु को बचाने और लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया। 

अब तक 2400 बच्चियों के जन्म पर नहीं ली फीस 
डॉ. गणेश राख ने कहा कि लड़का पैदा होने पर कुछ परिवार खुशी-खुशी अस्पताल आते हैं और बिल का भुगतान करते हैं, लेकिन शिशु के लड़की होने पर कुछ मामलों में उदासीन रवैया देखने को मिलता है। उन्होंने कहा हमने लड़की पैदा होने पर पूरा चिकित्सा शुल्क माफ करने का फैसला किया और बाद में इस पहल को बेटी बचाओ जन आंदोलन का नाम दिया। उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्ष में 2,400 से अधिक बालिकाओं के जन्म पर अस्पताल में कोई शुल्क नहीं लिया गया है।