सार
भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवणे (Indian Army Chief MM Naravane) ने भरोसा जताया है कि महिलाएं आगे चलकर 40 साल बाद सेना प्रमुख बनेंगी और देश की बेटियां सेना की कमान भी संभाल सकेंगी। वे यहां पुणे (Pune) के पास खड़कवासला ( Khadakwasla) स्थित नैशनल डिफेंस अकाडमी (National Defense Academy) की पासिंग आउट परेड के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
पुणे। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Indian Army Chief MM Naravane) ने भरोसा जताया है कि भविष्य में 40 साल बाद महिला अधिकारी सेना प्रमुख होंगी। वे यहां पुणे (Pune) के पास खड़कवासला (Khadakwasla) के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defense Academy) के 141वें दीक्षांत समारोह के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महिलाएं पहले से ही चेन्नई (Chennai) में ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में ट्रेनिंग ले रही हैं। आगे चलकर सेना प्रमुख बन सकती हैं और देश की बेटियां सेना की कमान भी संभाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की ट्रेनिंग के लिए भले ही भविष्य में विशेष सेवा सुविधाएं सृजित करनी होंगी, लेकिन ट्रेनिंग में कोई बदलाव नहीं होगा। ना ही कोई भेदभाव किया जाएगा।
जनरल नरवणे ने कहा कि NDA में ऑफिसर्स ट्रेनिंग देने की उसी नीति नियमों से ही महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्होंने बताया के अत्याधुनिक युग में साइबर सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। सेना में विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं को भी सेना के सभी स्तरों पर काम करने की ट्रेनिंग दी जा रही है और बगैर किसी लैंगिक भेदभाव के बेटियां सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने यह विश्वास जताया है कि भविष्य में कोई महिला अधिकारी सेना की कमान संभाल सकती हैं।
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जहां आज मैं खड़ा हूं, वहां 40 साल बाद महिलाएं खड़ी हो सकती हैं: जनरल नरवणे
जनरल नरवणे ने एनडीए में महिलाओं के दाखिले को लिंग समानता की तरफ बड़ा कदम बताया। पत्रकारों से बातचीत में नरवणे ने कहा- '40 साल बाद महिलाएं भी वहां खड़ी हो सकती हैं, जहां मैं आज खड़ा हूं। हम आगे बढ़ रहे हैं, हम एनडीए (पुणे) में महिला कैडेट को शामिल करेंगे और मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि वे लोग पुरुष कैडेट की तरह ही प्रदर्शन करेंगी।'
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महिलाओं को सशक्त बनाया जाएगा
नरवणे ने आगे कहा- 'यह लैंगिक समानता की तरफ पहला कदम है और देश में होने वाली ऐसी सभी तरह की पहल में सेना हमेशा सबसे आगे रही है। नतीजतन, उन्हें (महिलाओं) सैन्य बलों में अधिक चुनौतीपूर्ण ड्यूटी के लिए सशक्त बनाया जाएगा।