सार
44 साल की बीना अपनी जड़ें तलाशने और मां का पता लगाने के लिए 2011 से स्विट्जरलैंड से भारत आ रही हैं। उन्हें सफलता नहीं मिली। उन्होंने अपील की है कि अगर किसी को रोबेलो नाम की बुजुर्ग महिला के बारे में पता है, तो जरूरत बताएं।
मुंबई। भारतीय मूल की 44 साल की एक स्विस महिला हैं बीना मखीजानी मुलर। वे अपने उन माता-पिता को तो जानती-पहचानती हैं, जिन्होंने उन्हें गोद लिया और पाला-पोसा। मगर बीना अपनी उस बायोलॉजिकल यानी जैविक मां के बारे में कुछ नहीं जानतीं, जिन्होंने उसे जन्म दिया और बाद में अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था। बीना को बस इतना पता है कि उनकी जैविक मां का नाम रोबेलो है।
बीना का जन्म 1978 में दक्षिण मुंबई में हुआ था। उनकी जैविक मां ने उन्हें जन्म के कुछ समय बाद अनाथ आश्रम आशा सदन में छोड़ दिया था। जिसके बाद एक भारतीय दंपति ने बीना को गोद लिया और अपने साथ स्विट्जरलैंड ले गए। बीना ने कहा, मैं 2011 से अपनी मां की तलाश में मुंबई आ रही हूं, लेकिन मुझे अब तक उन्हें खोजने में सफलता नहीं मिली है। मैं अब अपनी तलाश से बहुत दूर हो गई हूं। मेरे दो बेटे हैं, जिनकी उम्र 13 साल और 16 साल है। वे अपनी जड़ें जानना चाहते हैं।
अगर कोई रोबेलो नाम की बुजुर्ग महिला को जानता है तो कृपया बताएं
बीना ने अपनी डीएनए प्रोफाइलिंग पूरी कर ली थी, जिससे पता चलता है कि वह गोवा मूल की हैं। बीना ने नम आंखों से अपील की है, अगर गोवा के इलाकों से कोई रोबेलो नाम की बुजुर्ग महिला को जानता है, जो पहले कभी मुंबई आईं और 1978 में मुझे जन्म दिया, तो कृपया उनसे जुड़ी डिटेल अंजलि पवार से शेयर करें। अंजलि बाल तस्करी के खिलाफ भी लड़ रही हैं। जो कोई भी मेरी मदद के लिए आगे आएगा, वह यह नहीं सोचे कि मैं किसी का जीवन बर्बाद करना चाहती हूं। मैं तो बस अपनी जड़ें और विरासत जानना चाहती हूं।
आशा सदन इस मामले में कोई भी जानकारी देने को तैयार नहीं है
एडवोकेट अंजलि पवार बीना को उसकी जैविक मां की तलाश में मदद कर रही हैं। इस मामले के बारे में बात करते हुए दत्तक अधिकार परिषद पुणे की निदेशक और अधिवक्ता अंजलि पवार ने कहा कि अधिकारी शुरू में मदद करने के लिए तैयार नहीं थे। 2015 में बीना का मामला हमारे पास आया और उन्होंने हमसे जैविक माता-पिता की तलाश में उसकी मदद करने का अनुरोध किया। मैंने पावर ऑफ अटॉर्नी के साथ तब आशा सदन को लिखा था, लेकिन वे इस मामले में कोई जानकारी देने को तैयार नहीं थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद अफसरों ने सहयोग करना शुरू किया
पवार ने कहा, डीडब्ल्यूसीडी अधिकारियों की ओर से इस मामले में मदद करने से इनकार करने के बाद, मैं जानकारी लेने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट गई और फिर गोद लेने वाली एजेंसी ने सहयोग करना शुरू कर दिया। अंजलि पवार ने आगे कहा कि मामले को खराब करने वाली सूचनाओं में विसंगति थी। इस संगठन ने अब तक लगभग 75 गोद लिए गए बच्चों को उनके जैविक माता-पिता से जोड़ा है।
बीना की 99.5 प्रतिशत प्रोफाइल गोवा के लोगों से मेल खाती है
बीना ने अपना डीएनए प्रोफाइलिंग किया है, जिससे पता चलता है कि वह गोवा मूल की है, क्योंकि उसकी 99.5 फीसदी प्रोफाइल गोवा के लोगों से मेल खाती है। ऐसे में उसे या तो मुंबई में एक गोवा की मां ने जन्म दिया या उसे मुंबई लाया गया और उसके बाद आशा सदन को दिया गया। पवार ने लोगों से अपील की कि अगर किसी को किसी मां या परिवार के सदस्य के बारे में पता है, जिसने आशा सदन को बच्चा दिया है या अन्यथा 1978 की अवधि के आसपास, तो कृपया जानकारी शेयर करें।
वो 16 देश जहां बुर्का नहीं पहन सकतीं महिलाएं, वो 5 देश जहां नहीं पहना तो मिलेगी सजा
क्या है हिजाब, नकाब, बुर्का, अल-अमीरा और दुपट्टा, कैसे हैं एक दूसरे से अलग, पढ़िए डिटेल स्टोरी