सार
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि राज्यपाल को एक मिनट के लिए भी पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। यह मार्च एक संकेत है कि राज्यपाल कोश्यारी को बर्खास्त कर दिया गया है। शिंदे सरकार फरवरी 2023 तक नहीं चलेगी। मोर्चा शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए पहला कदम है।
MVA protest march in Mumbai: महा विकास अघाड़ी ने शनिवार को एकनाथ शिंदे-बीजेपी सरकार के खिलाफ मुंबई में विरोध मार्च निकाला। एमवीए के घटक दलों ने 'हल्ला बोल' विरोध मार्च निकालकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को हटाने की मांग की है। दरअसल, राज्यपाल कोश्यारी के छत्रपति शिवाजी महराज के खिलाफ दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमाई हुई है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चेतावनी दी कि राज्य के स्वाभिमान और गौरव से कोई समझौता नहीं किया जाएगा तो एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि अगर राज्यपाल को हटाया नहीं गया तो वह लोग सरकार को सबक सिखाने के लिए बाध्य होंगे।
एमवीए के तीनों दलों ने मार्च में शिरकत किया
छत्रपति शिवाजी महराज सहित अन्य महापुरुषों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र में मुख्य विपक्षी मोर्चा महा विकास अघाड़ी ने शनिवार को हल्ला बोल मार्च का ऐलान किया था। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शिवसेना उद्धव गुट, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मुंबई में विरोध मार्च कर राज्यपाल को हटाने की मांग की है। विरोध मार्च, भायखला में जे जे अस्पताल के पास से शुरू हुआ। विभिन्न रास्तों से होता हुआ छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर समाप्त हुआ। यहां एमवीए नेताओं ने एक रैली को संबोधित कर सरकार को चेताया। इस मार्च में एमवीए घटक दलों के साथ साथ समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), किसान और श्रमिक पार्टी (PWP) और अन्य दलों ने भी भाग लिया। मार्च में उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे और छोटे बेटे तेजस भी शामिल हुए।
महाराष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए रहेंगे एकसाथ
रैली को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और महात्मा फुले का अपमान करने के लिए राज्यपाल को तुरंत हटा दिया जाना चाहिए। श्री पवार ने कहा कि एमवीए के तीनों घटकों की विचारधारा अलग हो सकती है लेकिन महाराष्ट्र के स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक साथ रहने की आवश्यकता थी। अगर राज्यपाल को नहीं हटाया गया तो हमें उन्हें सबक सिखाने के लिए कदम उठाने होंगे। राज्य की प्रगति और विकास के लिए नहीं बल्कि इसे बदनाम करने की होड़ चल रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि बी आर अंबेडकर, महात्मा फुले ने स्कूल शुरू करने के लिए भीख मांगी थी ... इस तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। राज्य की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए हमें अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद एकजुट होना होगा।
शिंदे सरकार वैचारिक दिवालियापन की शिकार
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे सरकार वैचारिक रूप से दिवालिया हो चुकी है। एक मंत्री चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि फुले और अंबेडकर ने स्कूल शुरू करने के लिए धन इकट्ठा करने के लिए भीख मांगी थी जबकि एक अन्य मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा छत्रपति शिवाजी महाराज के आगरा से महान पलायन को एकनाथ शिंदे के विद्रोह और पीठ में छुरा घोंपने से तुलना करते हैं।
ठाकरे ने कहा कि मैं कोश्यारी को राज्यपाल नहीं मानता। राज्यपाल का पद सम्मानित होता है। मैं अपनी मांग दोहराता हूं कि राज्यपाल के चयन के लिए एक मानदंड तय किया जाए। ठाकरे ने कहा कि राज्य के स्वाभिमान और गौरव से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। सीमा विवाद पर ठाकरे ने कहा कि बेलागवी, कारवार, निपानी और अन्य गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने के बारे में 'संयुक्त महाराष्ट्र' के अधूरे सपने को हासिल किया जाना है।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र को बचाने के लिए राज्यपाल को हटाया जाना चाहिए। राष्ट्रीय प्रतीकों की गरिमा की रक्षा के लिए एक सख्त कानून बनाया जाए। अजीत पवार ने कहा कि इससे पहले कभी भी महाराष्ट्र के गांवों ने खुले तौर पर राज्य से अलग होने की बात नहीं की। ऐसा क्यों हो रहा है? पूर्व उपमुख्यमंत्री ने एकजुट रहने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि यह विरोध मार्च उस दिशा में पहला कदम है क्योंकि एमवीए का उद्देश्य राज्य की अखंडता की रक्षा करना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि मार्च एक संकेत है कि राज्य एकजुट है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि राज्यपाल को एक मिनट के लिए भी पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। यह मार्च एक संकेत है कि राज्यपाल कोश्यारी को बर्खास्त कर दिया गया है। शिंदे सरकार फरवरी 2023 तक नहीं चलेगी। मोर्चा शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के लिए पहला कदम है।
क्या कहा था राज्यपाल ने?
नवम्बर महीने में एक कार्यक्रम में बोलते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवाजी महाराज को पुराने समय का प्रतीक करार दिया था। इस टिप्पणी से मराठा राजा और विपक्षी दलों दोनों के वंशजों में नाराजगी फैल गई। इस साल की शुरुआत में भी उन्होंने समाज सुधारक महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी भी की थी।
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