सार

कहा जा रहा है कि अचानक हुए इस बदलाव से एनसीपी समेत पार्टी के तमाम दिग्गज नेता अनभिज्ञ हैं। शरद पवार ने भी अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अजित पवार का है, पार्टी का नहीं।

मुंबई। विधानसभा चुनाव के बाद लंबे उठा पटक के बाद शनिवार सुबह महाराष्ट्र का राजभवन बड़े राजनीतिक भूकंप का गवाह बना। शुक्रवार देर शाम तक शिवसेना के नेतृत्व में एनसीपी और कांग्रेस के सरकार बनने की बातें आधिकारिक रूप से लगभग स्पष्ट हो चुकी थीं।

शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी चीफ उद्धव ठाकरे का नाम भी सामने आ रहा था। पार्टी के मुख्यमंत्री होने के शर्त पर ठाकरे ने बीजेपी के साथ तीन दशक पुराना रिश्ता तोड़ दिया था। वे शुक्रवार की रात में मुख्यमंत्री बनने (या अपनी पार्टी का सीएम) का सपना लेकर सोए होंगे। मगर सुबह तक उनके मंसूबों पर बीजेपी ने पानी फेर दिया। शनिवार सुबह देवेन्द्र फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली और उनके साथ एनसीपी के अजीत पवार ने डिप्टी सीएम के रूप में में शपथ ली। हर कोई हैरान है कि आखिर रातभर  में महाराष्ट्र का खेल कैसे बिगड़ गया।

रात में ही राज्यपाल से मिले थे अजित पवार

मराठी वेबसाइट "लोकमत" के मुताबिक शुक्रवार को भी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच बातचीत हुई। कुछ मुद्दों पर असहमति थी। इसके बाद शुक्रवार को रात 12.30  बजे देवेन्द्र फडणवीस और अजीत पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन जाकर मुलाक़ात की। विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा। रात को एक बजे राज्यपाल ने केंद्र को सिफारिश भेजा। राज्यपाल ने राष्ट्रपति हटाते हुए सुबह सात बजे शपथ गहन कराया।

प्रफुल्ल पटेल की अहम भूमिका

कहा जा रहा है कि इस पूरी गतिविधि में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भूमिका अहम रही। प्रफुल्ल पटेल पार्टी के दिग्गज नेता हैं। विधानसभा चुनाव से पूर्व भ्रष्टाचार के कई मामलों में ईडी ने उनसे पूछताछ की थी। बीजेपी ने शिवसेना से गठबंधन टूटने के बाद एनसीपी संग सरकार बनाने की बात काही थी। माना भी जा रहा था कि बीजेपी, शिवसेना या एनसीपी को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है। शनिवार को महाराष्ट्र में यही सब देखने को मिला है।

शरद पवार अंजान

कहा जा रहा है कि अचानक हुए इस बदलाव से एनसीपी समेत पार्टी के तमाम दिग्गज नेता अनभिज्ञ हैं। कहा जा रहा है कि अचानक हुए इस बदलाव से एनसीपी समेत पार्टी के तमाम दिग्गज नेता अनभिज्ञ हैं। शरद पवार ने भी अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि बीजेपी के साथ जाने का फैसला अजित पवार का है, पार्टी का नहीं। वहीं कांग्रेस सूत्रों ने पूरी प्रक्रिया के पीछे शरद पवार के रजामंदी की बात कही है।