सार
देशमुख अभी मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट उनकी जमानत अर्जी पर आठ अप्रैल को सुनवाई करेगी। इससे पहले 25 मार्च को सुनवाई में कोर्ट ने देशमुख की जमानत अर्जी पर ईडी को एक हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया था।
मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) केस में उद्धव सरकार (Uddhav Government) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से जोर का झटका लगा है। अदालत ने शुक्रवार को राज्य सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें शमुख मामले को SIT को देने की मांग और CBI जांच पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से साफ-साफ इनकार कर दिया है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। इस फैसले के बाद अब पूर्व गृहमंत्री के खिलाफ CBI की जांच जारी रहेगी।
SIT से जांच क्यों चाहती है राज्य सरकार
दरअसल, महाराष्ट्र की उद्धव सरकार का कहना है कि राज्य के पूर्व DGP सुबोध कुमार जायसवाल अब CBI डायरेक्टर हैं। ऐसे में अगर जांच सीबीआई करेगी तो इस मामले में पक्षपात हो सकता है। इसलिए यह जांच एसआईटी को सौंपी जाए। बता दें कि अनिल देशमुख अभी न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। पिछले साल 29 दिसंबर को वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप में देशमुख और उसके बेटे के खिलाफ सात हजार पेज की चार्जशीट ईडी की तरफ से फाइल की गई थी। देशमुख के निजी सचिव संजीव पालाडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे समेत 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दायर हुई है।
क्या है केस की टाइमलाइन
25 फरवरी 2021 की बात है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के घर एंटीलिया के पास विस्फोटकों से भरी एक SUV मिली थी। जब पुलिस ने इस गाड़ी की जांच की तो इसमें से जिलेटिन रॉड और कई वाहनों के नंबर प्लेट मिले। ये SUV उस वक्त मनसुख हीरेन की कस्टडी में थी, जिसकी लाश ठाणे के एक नाले में मिली थी। इस मामले की जांच सबसे पहले सचिन वझे संभाल रहे थे लेकिन बाद में NIA ने जब अपने हाथ में जांच ली तो सचिन वझे को इसी मामले में गिरफ्तार कर लिया। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में सचिन वझे समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया था। वझे पर जो आरोप लगे उसके मुताबिक खुद को सुपरकॉप साबित करने के लिए उन्होंने ही विस्फोटक भरी SUV अंबानी के घर के पास पार्क की थी। इसके बाद जब चर्चा बढ़ी तो महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) को होमगार्ड डीजी बना दिया।
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अनिल देशमुख की गिरफ्तारी क्यों
जब परमबीर का ट्रांसफर हुआ तब उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को एक पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अनिल देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए सचिन वझे (Sachin Vaze) से हर महीने 100 करोड़ रुपए की मांग की थी। उनका आरोप था कि देशमुख ने बार और रेस्टोरेंट मालिकों से 4.7 करोड़ रुपए वसूले थे। ये रकम दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के दौरान वसूली गई थी और इस रकम को मुंबई पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वझे के जरिए वसूला गया था। इस आरोप के बाद जब इस मामले को लेकर शोर-शराबा बढ़ा तो CBI ने देशमुख के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके बाद ईडी ने सीबीआई के इसी केस के आधार पर कार्रवाई की। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है।
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जिस ट्रस्ट में पैसे दान किए वो देशमुख परिवार का ही
ईडी की जांच जब आगे बढ़ी तो पता चला की वसूली की रकम से 4.18 करोड़ रुपए दिल्ली की चार अलग-अलग शैल कंपनियों में जमा किए गए। इन कंपनियों ने इस पैसे को श्री साई शिक्षण संस्थान नाम के एक ट्र्स्ट में दान कर दिया जो अनिल देशमुख और उनका परिवार ही चलाता है। ये भी खुलासा हुआ कि देशमुख ने अपनी पत्नी आरती देशमुख के नाम पर मुंबई के वर्ली में एक फ्लैट खरीदा था, जिसका पेमेंट कैश में किया गया था। जांच के मुताबिक फ्लैट साल 2004 में खरीदा गया था लेकिन इसका बिक्रीनामा फरवरी 2020 में तब साइन हुआ जब देशमुख राज्य के गृहमंत्री थे। इसके साथ ही यह भी सामने आया कि देशमुख परिवार की प्रीमियर पोर्ट लिंक्स नामक एक कंपनी में 50 प्रतिशत का शेयर है। जिसे 17 लाख 95 हजार रुपए में खरीदा गया था, जबकि कंपनी और उसके बाकी एसेट की कीमत पांच करोड़ 34 लाख है। ईडी की जांच अभी भी इस मामले को लेकर चल रही है।
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