सार

मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस में एनसीपी नेता नवाब मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उनकी न्यायिक हिरासत एक बार फिर बढ़ा दी गई है। अभी फिलहाल वह आर्थर रोड जेल में बंद हैं।

मुंबई : NCP नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) के एक ही दिन में दो बड़े झटके लगे हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया तो दूसरी तरफ मुंबई की PMLA कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को छह मई तक बढ़ा दी है। बता दें  कि मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने उनके तत्काल रिहाई के अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था। मलिक फरवरी से ही ईडी की कस्टडी में हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
नवाब मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के इस स्टेज पर हम दखल नहीं देंगे। आपको उचित कोर्ट में जमानत याचिका दायर करनी चाहिए। कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत करते हुए नवाब मलिक के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 1993 में हुई घटना के लिए वे मुझे 2022 में कैसे गिरफ्तार कर सकते हैं, जहां मैं बिल्कुल भी नहीं हूं? जिस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि आप सक्षम अदालत में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। हम इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इसके बाद सिब्बल ने कहा कि 41ए नोटिस नहीं है। गिरफ्तारी पूरी तरह अवैध है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि यह हमारे लिए हस्तक्षेप करने के लिए बहुत ही प्रारंभिक अवस्था है। मलिक की तरफ से रिहाई की मांग करते हुए PMLA कानून को 2005 का बताया गया और कहा गया कि उनकी गिरफ्तारी 1999 में हुए लेन-देन के लिए की गई है। 

5000 पन्नों का आरोप पत्र
इससे पहले गुरुवार को ईडी ने इस मामले में मलिक के खिलाफ 5000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। आरोपपत्र में कहा गया है कि एजेंसी ने मलिक के बेटों और भाई कप्तान मलिक को कई बार तलब किया, लेकिन वे नहीं आए। धन शोधन रोकथाम कानून के मामलों की विशेष अदालत दस्तावेजों के सत्यापन के बाद आरोप पत्र पर संज्ञान लेगी। बता दें कि पिछले हफ्ते ईडी ने मलिक और उनके परिवार की संपत्तियों को कुर्क किया था।

नवाब मलिक पर क्या है आरोप
नवाब मलिक मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े केस में गिरफ्तार किए गए हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने मुंबई के कुर्ला के मुनिरा प्लंबर की 300 करोड़ रुपए की जमीन 30 लाख रुपए में खरीदी थी और उसमें 20 लाख रुपए का ही भुगतान किया था। इस जमीन के मालिक को इसका एक भी रुपया नहीं दिया गया। उनसे ये जमीन पॉवर ऑफ एटॉर्नी के जरिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधित और मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी के नाम करवा दिया गया था। इसके बाद नवाब मलिक के बेटे फराज मलिक के नाम से ये जमीन ले ली गई थी और दाऊद की बहन हसीना पारकर के खाते में 50 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। 

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