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गांव में नहीं मिल रहा था मोबाइल का नेटवर्क, तो छात्रा ने एक ऊंची और खतरनाक पहाड़ी पर जाकर बना ली झोपड़ी
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स्वप्नाली और उनके भाई लॉकडाउन में अपने गांव दारिस्ते में हैं। यह एक पिछड़ा गांव हैं। आसपास नेटवर्क नहीं आता। इसलिए स्वप्नाली ने ऐसी जगह ढूंढना शुरू की, जहां से नेटवर्क मिले। उन्हें यह पहाड़ी मिली। हालांकि उनके परिजन बेटी को घर से 2 किमी दूर जंगल में झोपड़ी बनाकर पढ़ाई जारी रखने को राजी नहीं थे। लेकिन बेटी की जिद के आगे उनकी एक नहीं चली। आगे पढ़िए...फूट-फूटकर रो रही थी छात्रा, सोनू सूद ने किया ट्वीट-'आंसू पोंछ ले बहन, किताबें भी नई होंगी...घर भी नया होगा'
बीजापुर, छत्तीसगढ़. लॉकडाउन के बीज हजारों लोगों को उनके घर तक पहुंचाने वाले सोनू सूद गरीबों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं। लॉकडाउन में फंसे लोगों मदद के बाद भी वे लगातार गरीबों की मदद कर रहे हैं। नया मामला छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से जुड़ा है। यहां बारिश में कच्चा घर गिरने के बाद अपनी किताबें गीली होने से रो पड़ी छात्रा का वीडियो सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर दिखाया गया था। उसे देखकर सोनू सूद भावुक हो उठे और 19 अगस्त की दोपहर उन्होंने ट्वीट किया-'आंसू पोंछ ले बहन...किताबें भी नई होंगी..घर भी नया होगा!' 15-16 अगस्त की दरमियानी रात भीषण बारिश के चलते अंजली का कच्चा घर जमींदोज हो गया था। इस बीच बांस की टोकरी में रखीं उसकी किताबें भी भींग गई थीं। यह देखकर अंजली फूट-फूटकर रो पड़ी थी। वो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही है। देखें कुछ तस्वीरें...
सूखने के लिए रखीं भींगीं किताबें।
बारिश में किताबों की दुर्दशा देखकर अंजली फूट-फूटकर रोने लगी थी।
अंजली को अपनी पढ़ाई छूटती देखकर जैसे सदमा से बैठ गया था।
सोनू सूद के ट्वीट के बाद अंजली को उम्मीद जागी है कि वो आगे पढ़ पाएगी।
अंजली को रोते देखकर प्रशासन ने तत्काल उसे कुछ नई किताबें उपलब्ध कराई थीं।
अंजली ने अपने कच्चे घर में ऐसे संभालकर रखी हुई थीं किताबें। अंजली का वीडियो देखकर सोनू सूद ने की मदद की पहल।