सार
संक्रमित लोगों के इलाज में लगे कोरोन वॉरियर्स पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराता है। बावजूद वे पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे साहसी लोगों को संक्रमण से बचाने पुणे के 9वीं क्लास के एक बच्चे ने रोबोट तैयार किया है। इसका इस्तेमाल मरीजों तक दवाइयां और खाना पहुंचाने में हो सकेगा। इसे बनाने में डेढ़ महीने का समय लगा। यह रोबोट नायडू हास्पिटल को गिफ्ट किया गया है।
पुणे, महाराष्ट्र. लोगों को संक्रमण से बचाने कोरोना वॉरियर्स के साहस को सभी सलाम कर रहे हैं। खासकर हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर तो अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे हैं। ऐसे साहसी लोगों को संक्रमण से बचाने पुणे के 9वीं क्लास के एक बच्चे ने रोबोट तैयार किया है। इसका इस्तेमाल मरीजों तक दवाइयां और खाना पहुंचाने में हो सकेगा। इसे बनाने में डेढ़ महीने का समय लगा। यह रोबोट नायडू हास्पिटल को गिफ्ट किया गया है। छात्र ने बताया कि वो कुछ और रोबोट तैयार कर रहा है।
छुट्टियों का फायदा उठाया
यह रोबोट बनाने वाले 14 साल के विराज शाह ने बताया कि वो पुणे के दस्तूर हाईस्कूल में पढ़ता है। वो अकसर टीवी पर देखता था कि डॉक्टर कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए खुद संक्रमित हो रहे हैं। यह देखकर उसने रोबोट बनाने का सोचा। स्कूल की छुट्टियों का उसने सही फायदा उठाया। विराज ने बताया कि बेसिक डिजाइन के बाद वो पुणे नगरपालिका (पीएमसी) के कमिश्नर शेखर गायकवाड़ से मिला। कमिश्नर ने उसे डॉक्टरों से मिलने की सलाह दी। विराज ने बताया कि इसके बाद वो नायडू हॉस्पिटल के स्टाफ से मिला। इसके बाद यह रोबोट तैयार हुआ। इसे बनाने में दो इंजीनियरिंग स्टूडेंट ने मदद की।
एक रोबोट पर 60000 रुपए का खर्चा आया
विराज ने बताया कि रोबोट पर 60000 रुपए का खर्चा आया। इसका नाम 'कोविड वारबोट' रखा गया है। रोबोट को तीन कंपार्टमेंट में बांटा गया है। पीएमसी के असिस्टेंट हेल्थ चीफ डॉ. संजीव वरवरे ने इस रोबोट को काफी मददगार बताया।